पंचायती चुनाव से पहले महराजगंज में हत्याओं का दौर शुरु, पुलिस के बड़े अफसरों की भूमिका पर उठे सवाल

महराजगंज जिले में सपा नेता और जिला पंचायत सदस्य के पुत्र की निर्मम हत्या के बाद से चारों ओर चर्चाओं का दौर शुरु हो गया है कि क्या इस बार के पंचायती और प्रधानी के चुनाव गोलियों की तड़तड़ाहट के बीच होंगे? दो महीने के भीतर दूसरी बार हुए जानलेवा हमले में जिस बर्बरता से जितेन्द्र यादव की हत्या की गयी है उसके बाद से जिला पुलिस के बड़े अफसरों के इकबाल औऱ मंशा पर सवालिया निशान खड़े हो गये है कि क्या वे निष्पक्ष हैं या फिर कहीं ऐसा तो नहीं कि वे प्रभावशाली लोगों के आभामंडल में आकर अपने पद के साथ अन्याय कर रहे हैं?

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 9 December 2019, 6:52 PM IST

महराजगंज: 7 अक्टूबर को जब पुरदंरपुर थाने के निवासी और वार्ड नंबर 28 के महिला जिला पंचायत सदस्य के पुत्र जितेन्द्र यादव पर गोलियों की बौछार की गयी थी तब आखिर क्यों नहीं पुलिस प्रशासन ने उसकी पुख्ता सुरक्षा सुनिश्चित की? अब इस सवाल के जवाब में पुलिस के बड़े अफसरों ने जवाब देते नहीं बन रहा है तो फिर वे किसी तरह मृतक पर पूर्व में दर्ज मुकदमों का हवाला दे रहे हैं। बड़ा सवाल यह है कि क्या यदि किसी व्यक्ति पर मुकदमे दर्ज हैं तो उसकी हत्या की इजाजत किसी को भी दे दी जायेगी? 

यह भी पढ़ेंः महराजगंज जिला पंचायत सदस्य के पुत्र की दिनदहाड़े हत्या से मची सनसनी, पुलिस के बड़े अफसरों की खुली पोल

हत्या के बाद मृतक जितेन्द्र यादव

यह भी पढ़ेंः महराजगंज की बड़ी ख़बर- हिस्ट्रीशीटर अनिल गुप्ता पर प्रशासन ने कसा शिकंजा, भेजा जेल

सवाल यह है कि दो महीने पहले जानलेवा हमला हुआ था और इसके बाद भी परिजन बार-बार सुरक्षा की गुहार लगा रहे थे तो क्या कारण था कि पुलिस के बड़े अफसरों ने इसकी सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की? क्या इसके पीछे कोई साजिश है?

मृतक जितेन्द्र यादव (फाइल फोटो)

कुल मिलाकर आये दिन हत्या और लूट की वारदातों से महराजगंज जिला अपराध का गढ़ बनता जा रहा है।

जिले के पुलिस महकमे के बड़े अफसर लंबे समय से जिले में तैनात हैं, इसके बाद भी या तो उनसे जिला संभल नहीं रहा या फिर किसी खास के प्रभाव में वे जिले को जानबूझकर भगवान भरोसे छोड़ चुके हैं।

Published : 
  • 9 December 2019, 6:52 PM IST