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जैश सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने के लिए सुरक्षा परिषद में नया प्रस्‍ताव पेश

जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने और उसे प्रतिबंधित सूची में डालने को लेकर अब अमेरिका संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव लाने जा रहा है। इससे चीन के साथ उसका टकराव हो सकता है।
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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जैश सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने के लिए सुरक्षा परिषद में नया प्रस्‍ताव पेश

नई दिल्‍ली: पुलवामा सहित तमाम आतंकी हमलों के लिए जिम्‍मेदार जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मौलाना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने में भारत के मिशन को सफलता मिल सकती है। इस बार अमेरिका के साथ फ्रांस और ब्रिटेन ने संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद में प्रस्‍ताव पेश किया है। इस कदम से अब सीधे सीधे अमेरिका और चीन आमने सामने आ गए हैं। 

अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बुधवार को एक प्रस्ताव पेश किया है। इसमें पाकिस्तान में पल रहे जैश-ए-मोहम्मद के सरगना अजहर मसूद को प्रतिबंधित करने की बात की गई है। इस कदम के बाद अमेरिका के संयुक्त राष्ट्र में चीन के साथ संभावित टकराव की स्थिति बन गई है। हालांकि तीनों देश अब चीन को पीछे छोड़कर अन्य सदस्यों देशों से प्रस्ताव पर बात करेंगे और समिति पर दबाव बनाएंगे। इसके अलावा अमेरिकी विदेश मंत्री ने चीन के दोहरेपन को लेकर उसे लताड़ भी लगाई है।

ज्ञात हो कि चीन ने मसूद अजहर को संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंध सूची में शामिल कर वैश्विक आतंकी घोषित करने में टांग अड़ा दी थी। लेकिन अब अमेरिका मसूद को प्रतिबंधित करने का प्रस्ताव सीधे सुरक्षा परिषद में लेकर पहुंच गया है। इस मसौदे में भारत में हुए पुलवामा आत्‍मघाती हमले की निंदा की गई है। इसके अलावा मसूद के संगठन जैश-ए-मोहम्‍मद को अल-कायदा और इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकी संगठनों की प्रतिबंधित सूची में डालने की मांग की गई है। यदि सुरक्षा परिषद से प्रतिबंध लग जाता है तो जैश सरगना मसूद अजहर की विदेश यात्राओं पर रोक लग जाएगी। साथ ही उसकी संपत्तियां जब्त की जा सकेंगी। 

हालंकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि अमेरिका के इस मसौदा प्रस्ताव पर मतदान कब होगा। हालांकि इस प्रस्‍ताव के आने से चीन और अमेरिका के बीच टकराव की आशंका बढ़ गई है। वहीं यदि चीन इस बार फिर से वीटो करता है तो बेहद ही भड़काऊ कार्रवाई होगी। 

गौरतलब है कि परिषद के पांच स्थायी सदस्यों में ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और अमेरिका के साथ चीन शामिल है।

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