दफ्तरों के भीतर वायु गुणवत्ता का कर्मचारियों की रचनात्मकता पर पड़ सकता है असर

डीएन ब्यूरो

दफ्तरों के भीतर वायु गुणवत्ता का कर्मचारियों की रचनात्मकता पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। एक नए अध्ययन से यह पता चला है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

दफ्तरों के भीतर वायु गुणवत्ता का कर्मचारियों की रचनात्मकता पर पड़ सकता है
दफ्तरों के भीतर वायु गुणवत्ता का कर्मचारियों की रचनात्मकता पर पड़ सकता है


नयी दिल्ली:  दफ्तरों के भीतर वायु गुणवत्ता का कर्मचारियों की रचनात्मकता पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। एक नए अध्ययन से यह पता चला है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक सिंगापुर की नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी (एनटीयू) के अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि अध्ययन में भाग लेने वाले 87 प्रतिशत स्नातक और परास्नातक छात्रों ने डिटर्जेंट, परफ्यूम और पेंट जैसे उत्पादों से निकलने वाली गैस समेत वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों के उच्च स्तर के समय कम रचनात्मकता दिखायी।

उन्होंने पाया कि किसी कमरे में वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों का कुल स्तर 72 प्रतिशत तक कम करके किसी छात्र की रचनात्मक क्षमता में 12 फीसदी तक का सुधार किया जा सकता है। यह अध्ययन पत्रिका ‘साइंटिफिक रिपोर्ट्स’ में प्रकाशित हुआ है।

यह भी पढ़ें | दिल्ली के सरकारी स्कूलों में प्रधानाध्यापक के रिक्त पद के लिए 334 उम्मीदवारों के नामों की सिफारिश: उपराज्यपाल कार्यालय

एनटीयू के मुख्य अनुसंधानकर्ता वान मान पुन ने कहा, ‘‘इसका उन उद्योगों पर गंभीर असर पड़ सकता है जो अपने काम के लिए रचनात्मकता पर निर्भर रहते हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘उदाहरण के लिए कलाकार अक्सर पेंट और थिनर का इस्तेमाल करते हैं जो उच्च स्तर के वाष्पशील कार्बनिक यौगिक छोड़ते हैं और शायद उन्हें यह पता नहीं होता है कि इन्हें कार्य स्थल से बाहर निकलने के लिए खिड़की की पर्याप्त व्यवस्था की आवश्यकता होती है।’’

बहरहाल, अनुसंधानकर्ताओं को पीएम2.5 और रचनात्मकता के बीच तथा कार्बन डाइऑक्साइड तथा रचनात्मकता के बीच कम महत्वपूर्ण संबंध मिला।

यह भी पढ़ें | सब्जियों के दाम आसमान पर पहुंचने के बावजूद जानिये थोक मुद्रास्फीति को लेकर ये बड़ा अपडेट

अध्ययन के नतीजों से पता चलता है कि कैसे कार्यालयों के भीतर की वायु गुणवत्ता दिमाग और रचनात्मक अनुभूति पर असर डाल सकती है।

 










संबंधित समाचार