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Janmashtami 2025: क्यों प्रिय है श्रीकृष्ण को धनिया पंजीरी? जानें जन्माष्टमी पर 56 भोग में इसका विशेष महत्व

Janmashtami 2025 पर कान्हा को चढ़ाए जाएंगे 56 भोग, लेकिन धनिया पंजीरी रहेगी सबसे खास। माता यशोदा द्वारा खिलाई गई पंजीरी को श्रीकृष्ण का प्रिय भोग माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार यह प्रसाद सेहत और समृद्धि दोनों का प्रतीक है।
Post Published By: सौम्या सिंह
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Janmashtami 2025: क्यों प्रिय है श्रीकृष्ण को धनिया पंजीरी? जानें जन्माष्टमी पर 56 भोग में इसका विशेष महत्व

New Delhi: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व पूरे भारत में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इस बार यह पावन अवसर कल यानी 16 अगस्त 2025 को पड़ रहा है। इस दिन भक्तगण उपवास रखकर रात्रि में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाते हैं और उन्हें भव्य 56 भोग अर्पित किए जाते हैं। इन भोगों में सबसे विशेष और प्रिय माने जाने वाले प्रसाद का नाम है- धनिया पंजीरी।

यह पंजीरी केवल स्वाद या परंपरा की वजह से नहीं, बल्कि अपने आध्यात्मिक और औषधीय गुणों के कारण भी खास मानी जाती है। कहा जाता है कि माता यशोदा भगवान कृष्ण को बचपन में माखन मिश्री के साथ धनिया पंजीरी भी खिलाया करती थीं। तभी से यह प्रसाद श्रीकृष्ण को अत्यंत प्रिय माना गया है।

क्या है धनिया पंजीरी?

धनिया पंजीरी एक पारंपरिक मिठाई है, जिसे धनिया पाउडर, देशी घी, बूरा (शक्कर), सूखे मेवे और कभी-कभी नारियल के साथ तैयार किया जाता है। इसमें तुलसी का पत्ता भी रखा जाता है, जो इसे धार्मिक दृष्टिकोण से और भी पवित्र बनाता है।

जन्माष्टमी पर श्रीकृष्ण का भोग

क्यों होती है खास?

आध्यात्मिक महत्व

शास्त्रों के अनुसार, धनिया को धनकारक माना गया है। जन्माष्टमी पर इसे अर्पित करने से भगवान जल्दी प्रसन्न होते हैं और भक्त की मनोकामना पूर्ण करते हैं।

स्वास्थ्य लाभ

व्रत खोलते समय पाचन को ध्यान में रखना जरूरी होता है। धनिया पंजीरी हल्की, पौष्टिक और जल्दी पचने वाली होती है। इसमें मौजूद घी और मेवे शरीर को ताजगी और ऊर्जा प्रदान करते हैं।

परंपरा से जुड़ाव

सदियों से जन्माष्टमी के दिन यह प्रसाद चढ़ाया जाता रहा है। ऐसा माना जाता है कि बिना धनिया पंजीरी के 56 भोग अधूरे माने जाते हैं।

व्रत के बाद क्यों खाई जाती है पंजीरी?

जन्माष्टमी पर उपवास रखने वाले भक्त रात 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के बाद व्रत खोलते हैं। दिनभर उपवास के बाद ऐसा खाद्य पदार्थ जरूरी होता है जो हल्का हो और शरीर को ऊर्जा दे सके। धनिया पंजीरी इन सभी मापदंडों पर खरी उतरती है, इसलिए इसे व्रत खोलने के लिए सर्वोत्तम माना गया है।

धनिया पंजीरी का विशेष स्थान

कैसे बनाएं धनिया पंजीरी?

सामग्री: धनिया पाउडर, देसी घी, बूरा (चीनी का पाउडर), ड्राय फ्रूट्स (काजू, बादाम, किशमिश), नारियल बुरादा।

एक कढ़ाई में घी गर्म करें और उसमें धनिया को हल्का सुनहरा होने तक भूनें।

ठंडा होने पर इसमें बूरा और सूखे मेवे मिलाएं।

यह स्वादिष्ट और पौष्टिक पंजीरी प्रसाद के लिए तैयार है।

धनिया पंजीरी सिर्फ एक प्रसाद नहीं, बल्कि श्रद्धा, परंपरा और सेहत का संगम है। जन्माष्टमी के दिन यह प्रसाद भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित करने से न केवल आध्यात्मिक लाभ मिलता है, बल्कि यह शरीर के लिए भी लाभकारी होता है। इसलिए इस जन्माष्टमी पर आप भी अपने घर में श्रद्धापूर्वक धनिया पंजीरी बनाएं और श्रीकृष्ण को अर्पित करें।

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