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Census 2027 Update: हो जाएं तैयार! जनगणना वाले आप से पूछ सकते हैं ये अहम सवाल, जानिए जवाब?

2027 की जनगणना जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, देश में 'जातिगत जनगणना' एक नई बहस फिर से जोर पकड़ रही है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
Post Published By: Poonam Rajput
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Census 2027 Update: हो जाएं तैयार! जनगणना वाले आप से पूछ सकते हैं ये अहम सवाल, जानिए जवाब?

नई दिल्ली: 2027 की जनगणना जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, देश में ‘जातिगत जनगणना’ एक नई बहस फिर से जोर पकड़ रही है। सरकार ने जनगणना अधिसूचना जारी कर दी है, जिसके बाद अब अगले चरणों की तैयारियां शुरू होंगी। लेकिन इस बार की जनगणना सिर्फ जनसंख्या गिनती तक सीमित नहीं रह गई है, बल्कि यह सामाजिक और राजनीतिक लिहाज से पहले से कहीं अधिक अहम मानी जा रही है।

अधिसूचना के बाद क्या होता है?

जातिगत जनगणना क्या होती है?

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक,  जातिगत जनगणना में व्यक्ति की पूरी जाति या वर्ग के बारे में जानकारी ली जाती है, न कि केवल यह कि वह SC/ST वर्ग में आता है या नहीं। 1931 तक भारत में जाति आधारित आंकड़े जनगणना का हिस्सा हुआ करते थे। 1941 में आंकड़े लिए गए लेकिन प्रकाशित नहीं हुए, और 1951 से अब तक केवल SC/ST की जाति का डेटा लिया गया है।

OBC यानी पिछड़ा वर्ग, जो कि मंडल आयोग के अनुसार कुल आबादी का 52% था (1931 की जनगणना के अनुसार), उसका कोई सटीक आंकड़ा अब तक सामने नहीं आया है। इससे उनके लिए आरक्षण और कल्याणकारी योजनाओं की सटीकता पर सवाल उठते हैं।

क्यों उठ रही है मांग?

जातिगत जनगणना के पक्ष में तर्क देने वालों का कहना है कि, इससे पिछड़े वर्गों की वास्तविक संख्या और सामाजिक-आर्थिक स्थिति पता चलेगी। आरक्षण की समीक्षा और नीति निर्माण में सहूलियत होगी। सरकारी योजनाएं सटीक और प्रभावी बन सकेंगी।

विरोध क्यों हो रहा है?

विरोध करने वालों का मानना है कि,  इससे जातिवाद को बढ़ावा मिलेगा। समाज में विभाजन और टकराव की स्थिति बन सकती है। चुनावों में जाति कार्ड और ज़्यादा हावी हो सकता है।

क्यों अलग होगी 2027 की जनगणना?

2011 के बाद 2021 में जनगणना कोरोना की वजह से टाल दी गई थी। इस दौरान डिजिटल भारत, UPI, आधार, जनधन, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में कई बदलाव हुए हैं। ऐसे में 2027 की जनगणना तकनीकी और सामाजिक रूप से अधिक व्यापक और डिजिटल होगी। साथ ही इस बार जातिगत जनगणना की मांग इसे एक राजनीतिक मुद्दा भी बना रही है।

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