खरमास की अवधि क्यों मानी जाती है अशुभ, जानें क्या है धार्मिक और ज्योतिषीय कारण

16 दिसंबर 2025 से खरमास की शुरुआत हो रही है, जिसे हिंदू धर्म में अशुभ काल माना जाता है। सूर्य के धनु और मीन राशि में गोचर के कारण इस दौरान विवाह और सभी मांगलिक कार्य वर्जित रहते हैं। जानें खरमास के अशुभ होने की धार्मिक और ज्योतिषीय वजह।

Post Published By: Sapna Srivastava
Updated : 6 December 2025, 10:29 AM IST

New Delhi: हिंदू धर्म में खरमास को बेहद विशेष और संवेदनशील समय माना जाता है। यह वह अवधि होती है जब किसी भी प्रकार के शुभ और मांगलिक कार्यों पर पूर्ण रूप से रोक लगा दी जाती है। खरमास साल में दो बार आता है और इसे शास्त्रों में अशुभ काल बताया गया है। साल 2025 में एक बार फिर 16 दिसंबर से खरमास की शुरुआत होने जा रही है, जो मकर संक्रांति यानी जनवरी 2026 तक रहेगा। इसके बाद दूसरा खरमास मार्च से अप्रैल के बीच लगता है।

खरमास तब लगता है जब भगवान सूर्य धनु या मीन राशि में प्रवेश करते हैं। इस दौरान विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, सगाई, नया व्यापार या किसी भी नए शुभ कार्य की मनाही होती है। लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर खरमास को अशुभ क्यों माना गया है। इसके पीछे धार्मिक और ज्योतिषीय दोनों कारण बताए जाते हैं।

खरमास अशुभ क्यों माना जाता है: धार्मिक मान्यता

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार भगवान सूर्य सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर ब्रह्मांड की परिक्रमा करते हैं। सूर्य कभी रुकते नहीं हैं, क्योंकि उनके रुकने से संसार का संचालन रुक जाएगा। लगातार दौड़ते रहने के कारण सूर्य के घोड़े अत्यधिक थक जाते हैं। एक बार भगवान सूर्य को अपने घोड़ों की यह हालत देखकर करुणा आ गई।

कथा के अनुसार, सूर्य अपने रथ को एक सरोवर के किनारे ले गए। वहां दो गधे मिले। उस समय सूर्य ने अपने घोड़ों को विश्राम के लिए छोड़ दिया और गधों को अपने रथ में जोड़ लिया। गधों के कारण रथ की गति धीमी हो गई और सूर्य का तेज भी कम हो गया। करीब एक माह बाद जब घोड़े फिर से रथ से जुड़े, तब जाकर सूर्य की गति और ऊर्जा सामान्य हुई।

खरमास अशुभ क्यों माना जाता है (Img source- Google)

धार्मिक मान्यता है कि जब सूर्य की शक्ति कम होती है, तब शुभ कार्यों का संपूर्ण फल नहीं मिलता। यही कारण है कि सूर्य के धनु और मीन राशि में प्रवेश करते ही खरमास शुरू हो जाता है और उसे अशुभ माना जाता है।

खरमास के अशुभ होने का ज्योतिषीय कारण

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, खरमास इसलिए भी अशुभ माना जाता है क्योंकि इस दौरान भगवान सूर्य गुरु ग्रह की राशि धनु या मीन में प्रवेश करते हैं। गुरु ग्रह को शुभ कार्यों का मुख्य कारक माना जाता है। विवाह, शिक्षा, संतान, धन और व्यापार जैसे कार्य गुरु के प्रभाव से जुड़े होते हैं।

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मान्यता है कि सूर्य और गुरु के बीच शत्रुता का भाव है। जब सूर्य गुरु की राशि में जाते हैं, तो गुरु का प्रभाव कमजोर पड़ जाता है। ऐसे में शुभ कार्यों के लिए जरूरी दोनों ग्रहों की अनुकूलता नहीं बन पाती। इसी कारण इस दौरान किए गए शुभ कार्य अधूरे या बाधित माने जाते हैं।

खरमास में क्या नहीं करना चाहिए

खरमास की अवधि में इन कार्यों से बचना चाहिए:

  • विवाह और सगाई
  • गृह प्रवेश
  • नया व्यवसाय शुरू करना
  • मुंडन संस्कार
  • वाहन, प्रॉपर्टी या बड़े निवेश की शुरुआत
  • खरमास में क्या करना शुभ माना जाता है

हालांकि खरमास में शुभ कार्य वर्जित हैं, लेकिन यह समय धार्मिक दृष्टि से अत्यंत फलदायी माना जाता है।

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भगवान विष्णु की पूजा

  • सूर्य को अर्घ्य
  • दान-पुण्य
  • जप-तप और व्रत
  • गीता, रामायण या भागवत पाठ

अत्यंत शुभ फल देने वाले माने जाते हैं।

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Published : 
  • 6 December 2025, 10:29 AM IST

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