New Delhi: दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के सख्त आदेशों के खिलाफ राजधानी दिल्ली के इंडिया गेट पर सोमवार को सैकड़ों पशु अधिकार कार्यकर्ता, कुत्ता प्रेमी और देखभालकर्ता विरोध प्रदर्शन के लिए जुटे। सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक आदेश जारी कर आठ हफ्तों के भीतर दिल्ली-एनसीआर से सभी आवारा कुत्तों को पकड़कर उन्हें आश्रय गृहों में भेजने और दोबारा कभी सार्वजनिक स्थानों पर न छोड़ने का निर्देश दिया है। कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ पशु प्रेमियों में भारी आक्रोश देखने को मिला।
डॉग लवर्स ने किया विरोध
प्रदर्शनकारियों ने इस आदेश को ‘अमानवीय’ और ‘पशु अधिकारों के खिलाफ’ बताया। उनका कहना था कि इस तरह से आवारा कुत्तों को उनके प्राकृतिक आवास से अलग कर किसी बंद डॉग शेल्टर में रखना न केवल उनकी स्वाभाविक जीवनशैली को प्रभावित करेगा, बल्कि उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर भी गंभीर असर डालेगा। प्रदर्शन के दौरान दिल्ली पुलिस ने धारा 144 के उल्लंघन और बिना अनुमति धरना-प्रदर्शन करने के चलते कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया। हालांकि, हिरासत में लिए गए लोगों ने शांतिपूर्ण तरीके से विरोध दर्ज करने की बात कही और सरकार से इस आदेश पर पुनर्विचार की अपील की।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में आवारा कुत्तों के काटने से रैबीज जैसी जानलेवा बीमारियां फैल रही हैं, जिससे अब तक कई जानें जा चुकी हैं। कोर्ट ने इस मुद्दे को गंभीर मानते हुए स्वत: संज्ञान लिया था। वरिष्ठ वकील गौरव अग्रवाल को न्यायमित्र नियुक्त कर मामले की गहराई से जांच करवाई गई। कोर्ट की पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति जेबी पार्डीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन शामिल थे, ने कहा कि कुत्तों की बढ़ती संख्या और उनके हमलों को देखते हुए सार्वजनिक सुरक्षा सर्वोपरि है। आदेश में स्पष्ट किया गया कि आवारा कुत्तों को पकड़ने का अभियान तुरंत शुरू किया जाए और सभी कुत्तों को सुरक्षित आश्रय स्थलों में रखा जाए। साथ ही यह भी कहा गया कि इन डॉग शेल्टर्स में नसबंदी, टीकाकरण और देखभाल की उचित व्यवस्था होनी चाहिए।
हेल्पलाइन और निगरानी के निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि एक सप्ताह के भीतर कुत्तों के काटने की शिकायतों के लिए एक हेल्पलाइन शुरू की जाए। इसके अलावा, प्रत्येक पकड़े गए कुत्ते का रिकॉर्ड रखा जाएगा और शेल्टर होम्स की निगरानी सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से की जाएगी। कोर्ट ने यह भी कहा कि किसी भी संगठन या व्यक्ति द्वारा इस अभियान में बाधा उत्पन्न करने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
पशु प्रेमियों की आपत्तियां
पशु अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह आदेश अत्यधिक कठोर है और इसमें ज़मीनी हकीकत की अनदेखी की गई है। उनका कहना है कि नसबंदी और टीकाकरण का मौजूदा कार्यक्रम ही कुत्तों की संख्या और बीमारियों को नियंत्रित करने में कारगर रहा है। शेल्टर में सभी कुत्तों को बंद कर देना व्यावहारिक नहीं है क्योंकि इस समय इतने बड़े पैमाने पर डॉग शेल्टर मौजूद नहीं हैं। कुछ कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि कोर्ट का आदेश मानव जीवन को प्राथमिकता देता है, लेकिन पशुओं के अधिकारों की पूरी तरह अनदेखी करता है। उन्होंने कहा कि कोर्ट को ऐसी व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए जो इंसानों और जानवरों दोनों के अधिकारों की रक्षा करे।
सरकार और एमसीडी को निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार, एमसीडी और एनडीएमसी को निर्देश दिया है कि वे आठ हफ्तों के भीतर आवारा कुत्तों के लिए पर्याप्त संख्या में आश्रय स्थल तैयार करें और उसकी प्रगति रिपोर्ट कोर्ट में जमा करें। इन आश्रय स्थलों में आवश्यक स्टाफ, दवाइयां, खाना और साफ-सफाई की व्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा गया है।

