New Delhi: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, राज्य की राजनीति में हलचल तेज होती जा रही है। खासकर एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) में सीट बंटवारे को लेकर गहरा विवाद सामने आया है। रालोमो (राष्ट्रीय लोक जनता दल) प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा इस बंटवारे से खासे नाराज नजर आ रहे हैं। उन्होंने खुलकर अपने विरोध का इज़हार किया है और पार्टी नेताओं को स्पष्ट निर्देश दे दिया है कि वे एनडीए के किसी भी प्रत्याशी के नामांकन में शामिल न हों।
दिल्ली पहुंचे उपेंद्र कुशवाहा
अब इसी नाराजगी के चलते उपेंद्र कुशवाहा बुधवार को दिल्ली पहुंच चुके हैं और वो यहां गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात करेंगे। इस मुलाकात के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने पटना में अपने पार्टी नेताओं की एक बैठक बुलाई थी जिसमें कई अहम फैसले हो सकते हैं। हालांकि, बाद में उपेंद्र कुशवाहा ने खुद एक्स पर बताया कि ये बैठक टाल दी गई है।
किस बात से नाराज हैं कुशवाहा?
कुशवाहा की नाराजगी उस वक्त और गहरा गई जब उन्हें यह जानकारी मिली कि जिन सीटों पर उनकी पार्टी उम्मीदवार उतारने की तैयारी में थी, वे अब गठबंधन की अन्य पार्टियों को दे दी गई हैं। खासतौर पर महुआ सीट लोजपा (रामविलास) को और दिनारा सीट जेडीयू को दिए जाने की सूचना से रालोमो सुप्रीमो खासे आक्रोशित हो उठे।
रालोमो की तरफ से महुआ सीट से उपेंद्र कुशवाहा के पुत्र दीपक कुशवाहा को और दिनारा से आलोक सिंह को मैदान में उतारने की योजना थी। लेकिन अब जब इन सीटों पर अन्य दलों का दावा हो गया है, तो रालोमो नेतृत्व खुद को ठगा सा महसूस कर रहा है।
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इस पूरे घटनाक्रम के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने पटना में पार्टी नेताओं की बैठक बुलाई थी, जिसे अब स्थगित कर दिया गया है। उन्होंने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर जानकारी दी कि वे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से विमर्श के लिए दिल्ली रवाना हो रहे हैं। उनके साथ केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय भी रहेंगे।
एक्स पर पोस्ट कर दी जानकारी
कुशवाहा ने अपने पोस्ट में लिखा, “केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जी के साथ विमर्श हेतु गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय जी और मुझे अभी दिल्ली के लिए प्रस्थान करना है। इसलिए आज पार्टी के साथियों के साथ पटना स्थित कैंप कार्यालय में आयोजित होने वाली बैठक तत्काल स्थगित की गई है।”
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो यह टकराव अगर समय रहते नहीं सुलझा, तो एनडीए को बिहार में बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है। उपेंद्र कुशवाहा भले ही छोटी पार्टी के नेता हों, लेकिन कई सीटों पर उनका प्रभाव निर्णायक माना जाता है। अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि दिल्ली में अमित शाह से मुलाकात के बाद हालात सामान्य होते हैं या एनडीए में यह दरार और गहराती है।