Site icon Hindi Dynamite News

G Madhavi Latha: चिनाब ब्रिज निर्माण में प्रोफेसर माधवी लता की महत्वपूर्ण भूमिका, भारतीय विज्ञान संस्थान ने सराहा

भारत की सबसे साहसिक रेलवे परियोजनाओं में से एक चिनाब ब्रिज, का उद्घाटन शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया। पढ़िए डानामाइट न्यूज़ की ये रिपोर्ट
Post Published By: Sapna Srivastava
Published:
G Madhavi Latha: चिनाब ब्रिज निर्माण में प्रोफेसर माधवी लता की महत्वपूर्ण भूमिका, भारतीय विज्ञान संस्थान ने सराहा

नई दिल्ली: भारत की सबसे साहसिक रेलवे परियोजनाओं में से एक चिनाब ब्रिज, का उद्घाटन शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया। इस पुल को न केवल दुनिया की सबसे ऊंची रेलवे आर्च के रूप में जाना जाता है, बल्कि इसके निर्माण में भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी), बेंगलुरु की प्रोफेसर जी माधवी लता की महत्वपूर्ण भूमिका भी रही है।

चिनाब ब्रिज की निर्माण यात्रा

प्रोफेसर माधवी लता और उनकी टीम ने चिनाब ब्रिज परियोजना पर 2005 से 17 वर्षों तक काम किया। इस दौरान उन्होंने और उनकी टीम ने इस परियोजना के निर्माण के लिए कई महत्वपूर्ण और जटिल चुनौतियों का सामना किया। अपनी पत्रिका में प्रोफेसर लता ने बताया कि इस परियोजना पर काम करते वक्त कई भूगर्भीय और भौतिक चुनौतियाँ थीं जैसे पुल की ऊँचाई और आयाम, कठोर भूभाग, चट्टानों की विषमता, पुल के नीचे बहती नदी, और प्रतिकूल जलवायु परिस्थितियाँ। इसके अलावा तेज़ हवाएँ और भूकंपीय क्षेत्र भी समस्याओं में शामिल थे।

“डिज़ाइन ऐज़ यू गो” की रणनीति ने दी सफलता

प्रोफेसर लता ने अपनी टीम के साथ मिलकर एक “डिज़ाइन ऐज़ यू गो” (Design as you go) दृष्टिकोण अपनाया, जो परियोजना को गति देने में सहायक साबित हुआ। इस दृष्टिकोण से जटिल परिस्थितियों में वास्तविक समय में डिजाइन को अनुकूलित किया गया, जिससे परियोजना की सम्पन्नता सुनिश्चित की जा सकी। प्रोफेसर लता ने बताया कि यदि वे एक कठोर दृष्टिकोण अपनाते तो इस परियोजना को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता था।

भूगर्भीय चुनौतियों का समाधान

इस परियोजना के निर्माण के दौरान कई अप्रत्याशित भूगर्भीय समस्याएँ सामने आईं जैसे खंडित चट्टान संरचनाएँ, गुप्त गुफाएँ और चट्टान के गुणों में भिन्नताएँ, जो प्रारंभिक सर्वेक्षणों में स्पष्ट नहीं थीं। इन समस्याओं से निपटने के लिए प्रोफेसर लता और उनकी टीम ने जटिल गणनाएँ कीं और वास्तविक स्थितियों के अनुसार डिज़ाइन में संशोधन किए।

इस परियोजना में रॉक एंकर के डिज़ाइन और रणनीतिक प्लेसमेंट पर प्रोफेसर लता का अहम योगदान था। रॉक एंकर का प्रयोग उन क्षेत्रों में किया जाता है जहाँ चट्टान अस्थिर हो, ताकि संरचनाओं की स्थिरता बनी रहे। यह योगदान इस परियोजना की सफलता में एक महत्वपूर्ण कड़ी साबित हुआ।

डॉ. जी माधवी लता का परिचय

डॉ. जी माधवी लता एक प्रमुख सिविल इंजीनियर और शिक्षाविद हैं, जो वर्तमान में भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बेंगलुरु में हाईएस्ट एडमिनिस्ट्रेटिव ग्रेड (HAG) प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं। वे IISc के सतत प्रौद्योगिकी केंद्र की अध्यक्ष भी हैं।

Exit mobile version