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Petrol Price: ये देश बेच रहा है पानी से भी सस्ता पेट्रोल! जानें नाम और कीमत

कुछ देश ऐसे हैं जहां पेट्रोल की कीमतें भारत की तुलना में बेहद कम हैं। यहां तक कि एक लीटर पेट्रोल, पानी की बोतल से भी सस्ता है। इन कीमतों के पीछे मुख्य कारण हैं स्थानीय तेल भंडार, भारी सब्सिडी, कम टैक्स और आयात पर निर्भरता की कमी।
Post Published By: Poonam Rajput
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Petrol Price: ये देश बेच रहा है पानी से भी सस्ता पेट्रोल! जानें नाम और कीमत

New Delhi:  ग्लोबल पेट्रोल प्राइसेज डॉट कॉम की 15 सितंबर 2025 की रिपोर्ट के अनुसार, लीबिया अब दुनिया में सबसे सस्ता पेट्रोल बेचने वाला देश बन चुका है। वहां एक लीटर पेट्रोल की कीमत मात्र ₹2.43 है। इसने लंबे समय से पहले स्थान पर रहे ईरान (₹2.51 प्रति लीटर) को पीछे छोड़ दिया है।

 भारत में पानी से भी सस्ता पेट्रोल!

भारत में एक लीटर मिनरल वॉटर की बोतल की कीमत लगभग ₹20 है। इसी ₹20 में लीबिया में लगभग 8 लीटर पेट्रोल खरीदा जा सकता है। यह तुलना दिखाती है कि कुछ देशों में पेट्रोल की कीमतें कितनी चौंकाने वाली रूप से कम हैं।

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 टॉप 10 देश जहां पेट्रोल सबसे सस्ता है

नीचे दुनिया के उन 10 देशों की सूची दी गई है जहां पेट्रोल सबसे सस्ता बिकता है (₹ प्रति लीटर में):

रैंक देश कीमत (₹)
1 लीबिया ₹2.43
2 ईरान ₹2.51
3 वेनेजुएला ₹3.07
4 अंगोला ₹28.75
5 कुवैत ₹30.26
6 अल्जीरिया ₹31.26
7 मिस्र ₹34.73
8 तुर्कमेनिस्तान ₹37.62
9 कजाकिस्तान ₹39.73
10 मलेशिया ₹42.84

 भारत में पेट्रोल 41 गुना महंगा

भारत में पेट्रोल की औसत कीमत ₹101 प्रति लीटर है, जो लीबिया की कीमत से करीब 41 गुना अधिक है। दिल्ली में यह ₹94.77 है जबकि हैदराबाद जैसे शहरों में ₹107.46 तक पहुँच जाती है। इससे यह स्पष्ट होता है कि भारत में ईंधन आम आदमी के बजट पर कितना बड़ा असर डालता है।

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 इतने बड़े अंतर के पीछे के कारण

1. तेल भंडार और सब्सिडी

लीबिया, ईरान और वेनेजुएला जैसे देशों के पास बड़े पैमाने पर तेल भंडार हैं। ये देश अपने नागरिकों को भारी सब्सिडी के तहत पेट्रोल उपलब्ध कराते हैं, जिससे कीमतें बेहद कम रहती हैं।

2. टैक्स का प्रभाव

भारत में पेट्रोल की खुदरा कीमत का करीब 55% हिस्सा टैक्स होता है — जिसमें केंद्र सरकार की एक्साइज ड्यूटी और राज्य सरकारों का VAT शामिल है। यही कारण है कि यहां कीमतें इतनी अधिक हैं।

3. आयात पर निर्भरता

भारत अपनी जरूरत का लगभग 85% कच्चा तेल आयात करता है। इसलिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों और डॉलर-रुपए की विनिमय दर का सीधा असर घरेलू कीमतों पर पड़ता है।

जहां कुछ देश अपने संसाधनों और सब्सिडी के जरिए नागरिकों को बेहद सस्ता पेट्रोल दे पा रहे हैं, वहीं भारत में टैक्स और आयात-निर्भरता के चलते पेट्रोल की कीमतें लगातार आम आदमी की जेब पर भारी पड़ रही हैं। यह वैश्विक असमानता ईंधन नीतियों पर पुनर्विचार की मांग करती है।

 

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