New Delhi: दिल्ली में 11 अगस्त 2025 को सियासी गरमाहट उस वक्त चरम पर पहुंच गई जब समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव विपक्षी नेताओं के साथ भारत निर्वाचन आयोग की ओर बढ़ रहे थे। रास्ते में पुलिस ने बैरिकेड लगाकर उन्हें रोकने की कोशिश की, लेकिन अखिलेश रुकने वालों में से नहीं थे। उन्होंने बैरिकेड फांदकर अपना रास्ता बना लिया।
सूत्रों के अनुसार, इस घटनाक्रम पर जसवंतनगर से विधायक और उनके चाचा शिवपाल सिंह यादव ने सोशल मीडिया पर वीडियो साझा कर भावुक अंदाज में तारीफ की। उन्होंने लिखा— “संघर्ष की पहचान रुकना नहीं, टकराना है। जब हक़ की आवाज़ रोकने को बैरिकेड खड़े हों, तो समाजवादी पीछे नहीं हटते— बैरिकेड तोड़ते हैं, कूदते हैं, ललकारते हैं! आज अखिलेश यादव जी की छलांग सिर्फ़ लोहे पर नहीं थी, ये छलांग थी लोकतंत्र बचाने की कसम पर।”
अखिलेश यादव ने निर्वाचन आयोग पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि आयोग ने उत्तर प्रदेश चुनाव समेत कई मामलों में अनियमितताओं पर कोई कार्रवाई नहीं की। उनके मुताबिक, भाजपा की जीत सुनिश्चित करने के लिए अधिकारियों और यहां तक कि सादे कपड़ों में पुलिसकर्मियों को भी मतदान केंद्रों पर तैनात किया गया। उन्होंने दावा किया कि यह वोट लूट का संगठित प्रयास था।
सपा प्रमुख ने याद दिलाया कि 2022 के विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी ने शिकायत की थी कि 18,000 वैध वोटरों के नाम मतदाता सूची से हटा दिए गए थे। उन्होंने सवाल किया कि इतने बड़े पैमाने पर हुई इस गड़बड़ी पर आयोग ने जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई की।
अखिलेश ने रामपुर की उस कथित घटना का भी जिक्र किया जिसमें एक पुलिस अधिकारी मतदाताओं पर रिवॉल्वर ताने हुए दिखा। उन्होंने कहा, “अगर हमारी सरकार में ऐसा होता तो हम तुरंत कार्रवाई करते।” साथ ही उन्होंने कर्नाटक सरकार से मांग की कि वोट चोरी में शामिल हर अधिकारी पर सख्त कदम उठाया जाए।
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि वोट देने का अधिकार छीना गया तो लोकतंत्र बच नहीं पाएगा, और ऐसे मामलों में त्वरित न्याय के लिए विशेष अदालतें बननी चाहिए। सपा सांसद डिंपल यादव ने भी संसद परिसर में प्रदर्शन करते हुए निर्वाचन आयोग से “जागने” और लगातार हो रही वोट लूट की घटनाओं को स्वीकारने की मांग की।

