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केरल में 9 साल की बच्ची की अमीबिक इंसेफेलाइटिस से मौत: क्या है यह दुर्लभ मस्तिष्क संक्रमण, कैसे बचें?

केरल के कोझिकोड में 9 साल की बच्ची की मौत का कारण बना अमीबिक इंसेफेलाइटिस- एक दुर्लभ और जानलेवा मस्तिष्क संक्रमण। यह दूषित जल में मौजूद अमीबा से होता है। जानिए इसके लक्षण, कारण और बचाव के उपाय।
Post Published By: सौम्या सिंह
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केरल में 9 साल की बच्ची की अमीबिक इंसेफेलाइटिस से मौत: क्या है यह दुर्लभ मस्तिष्क संक्रमण, कैसे बचें?

New Delhi: केरल के उत्तरी जिले कोझिकोड में एक 9 वर्षीय बच्ची की मौत ने राज्य में स्वास्थ्य विभाग को सतर्क कर दिया है। बच्ची की मौत का कारण बना एक दुर्लभ लेकिन अत्यंत घातक मस्तिष्क संक्रमण- अमीबिक इंसेफेलाइटिस (Amoebic Encephalitis)। यह इस साल इस क्षेत्र में इस बीमारी का चौथा संदिग्ध मामला है, जिससे चिंता और जागरूकता दोनों जरूरी हो गई हैं।

क्या हुआ था मामला?

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार, थमारास्सेरी की निवासी बच्ची को 13 अगस्त को बुखार, सिरदर्द और उल्टी की शिकायत के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। हालत बिगड़ने पर उसे 14 अगस्त को कोझिकोड मेडिकल कॉलेज ले जाया गया, जहां उसी दिन उसकी मौत हो गई। मेडिकल कॉलेज की माइक्रोबायोलॉजी लैब की रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि मौत का कारण अमीबिक इंसेफेलाइटिस था।

अधिकारियों ने अब यह जानने के लिए जांच शुरू कर दी है कि बच्ची को संक्रमण किस जल स्रोत- तालाब, झील या अन्य जगह से हुआ। साथ ही वे उन लोगों की पहचान कर रहे हैं, जिन्होंने हाल के दिनों में उस जल स्रोत में स्नान किया हो।

क्या है अमीबिक इंसेफेलाइटिस?

यह एक गंभीर और दुर्लभ मस्तिष्क संक्रमण है, जो खास तरह के मुक्त-जीवित अमीबा (free-living amoeba) के कारण होता है। यह अमीबा आमतौर पर गर्म मीठे पानी, जैसे झीलों, तालाबों, झरनों और कभी-कभी अपर्याप्त रूप से क्लोरीनयुक्त स्विमिंग पूल्स में पाए जाते हैं।

प्रतीकात्मक छवि (फोटो सोर्स-इंटरनेट)

जब ये अमीबा नाक के रास्ते शरीर में प्रवेश करते हैं, विशेषकर तैराकी या स्नान के दौरान, तो वे मस्तिष्क और उसकी झिल्लियों तक पहुंच सकते हैं। वहां वे तेजी से सूजन, संक्रमण और मस्तिष्क क्षति का कारण बनते हैं। संक्रमण का इलाज अत्यंत कठिन होता है और अधिकतर मामलों में यह घातक साबित होता है।

मुख्य प्रकार

नेग्लेरिया फाउलेरी (Naegleria fowleri)

यह सबसे आम और घातक प्रकार है, जिससे प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफेलाइटिस (PAM) होता है। इसके लक्षण 1 से 12 दिनों में सामने आते हैं और स्थिति तेज़ी से बिगड़ती है।

एकेंथामीबा और बालामुथिया मैंड्रिलारिस

ये ग्रैनुलोमैटस अमीबिक एन्सेफलाइटिस (GAE) नामक संक्रमण का कारण बनते हैं। यह धीरे-धीरे विकसित होता है, लेकिन इसके घातक होने की संभावना भी अधिक होती है।

लक्षण क्या होते हैं?

तेज बुखार

सिरदर्द

मतली और उल्टी

गर्दन में अकड़न

भ्रम या चेतना में कमी

दौरे

संतुलन की हानि

कोमा तक की स्थिति

उपचार और निदान

निदान के लिए लम्बर पंक्चर, एमआरआई/सीटी स्कैन, पीसीआर परीक्षण, या कुछ मामलों में ब्रेन बायोप्सी की आवश्यकता हो सकती है।

उपचार में कई दवाओं का संयोजन उपयोग किया जाता है, जैसे:

मिल्टेफोसिन (Miltefosine)

एम्फोटेरिसिन बी

रिफैम्पिन, फ्लुकोनाज़ोल, एज़िथ्रोमाइसिन आदि।

हालांकि, संक्रमण की घातकता इतनी अधिक होती है कि उपचार के बावजूद मृत्यु दर बहुत ज़्यादा है। PAM के 97% से अधिक मामलों में मौत होती है।

कैसे करें बचाव?

गर्म मीठे पानी के स्रोतों में तैरने से बचें, खासकर गर्मियों में।

तैरते समय नाक पर क्लिप लगाएं या सिर को पानी में न डालें।

नेति पॉट या नाक की सफाई के लिए हमेशा उबला हुआ या डिस्टिल्ड पानी ही प्रयोग करें।

बच्चों को ऐसे तालाबों में स्नान से सख्ती से रोकें, जहां पानी स्थिर और दूषित हो सकता है।

स्थानिक निकायों और प्रशासन को जलस्रोतों की नियमित सफाई और क्लोरीनेशन सुनिश्चित करना चाहिए।

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