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महादेव की बरसेगी कृपा: कब है सावन की शिवरात्रि? जानिये शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

सावन शिवरात्रि भगवान शिव को समर्पित एक पवित्र पर्व है। इस दिन भक्त व्रत, रुद्राभिषेक और रात्रि जागरण के साथ शिव-पार्वती की पूजा करते हैं। इस साल निशिता काल पूजा समय रात में रहेगा। चार प्रहरों में पूजा और पंचामृत से अभिषेक करने से सुख-समृद्धि मिलती है। भक्त बेलपत्र, धतूरा, चंदन आदि अर्पित करते हैं और 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का जाप करते हैं। यह पर्व आध्यात्मिक शांति और मनोकामनाओं की पूर्ति का विशेष अवसर है। आईये जानते हैं इस बार सावन शिवरात्रि कब मनाई जाएगी?
Post Published By: Nidhi Kushwaha
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महादेव की बरसेगी कृपा: कब है सावन की शिवरात्रि? जानिये शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

New Delhi: सावन शिवरात्रि, हिंदू धर्म का एक पवित्र और शुभ पर्व, भगवान शिव और माता पार्वती की भक्ति में डूबने का विशेष अवसर है। सावन मास की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाने वाली यह शिवरात्रि, भक्तों के लिए असीम कृपा और आशीर्वाद का स्रोत है। इस दिन भक्त व्रत, रुद्राभिषेक और रात्रि जागरण के साथ भोलेनाथ की आराधना करते हैं।

ऐसी मान्यता है कि सावन शिवरात्रि पर शिवलिंग पर जलाभिषेक और पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि, शांति और मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इस वर्ष सावन शिवरात्रि 23 जुलाई, बुधवार को मनाई जाएगी। आइए, इस पर्व के शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और धार्मिक महत्व को विस्तार से जानें।

सावन शिवरात्रि की तिथि और समय

सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 23 जुलाई को सुबह 4:39 मिनट से शुरू होकर 24 जुलाई को देर रात 2:28 मिनट तक रहेगी। इस बार, 23 जुलाई को सावन शिवरात्रि का पर्व उत्साहपूर्वक मनाया जाएगा।

शुभ मुहूर्त और पूजा समय

इस बार सावन शिवरात्रि की निशिता काल पूजा का समय 23 जुलाई को दोपहर 12:07 बजे से 12:48 बजे तक रहेगा। जबकि भद्रवास योग दोपहर 3:31 बजे तक और हर्षण योग दोपहर 12:35 बजे से प्रभावी रहेगा।

पूजा चार प्रहरों में की जाएगी, जो इस प्रकार हैं-
पहला प्रहर: शाम 6:59 से रात 9:36 तक
दूसरा प्रहर: रात 9:36 से 12:13 तक
तीसरा प्रहर: 12:13 बजे से 2:50 बजे तक चलेगा
चौथा प्रहर: देर रात 2:50 से सुबह 5:27 तक
व्रत तोड़ने की प्रक्रिया 24 जुलाई को सुबह 5:27 बजे शुरू होगी।

सावन शिवरात्रि की पूजा विधि

सावन शिवरात्रि पर भगवान शिव की विशेष पूजा का विधान है। भक्तों को सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करके मंदिर की सफाई करनी चाहिए। इसके बाद व्रत का संकल्प लेना चाहिए। शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी और शक्कर से बने पंचामृत से अभिषेक करें। फिर बेलपत्र, भांग, धतूरा, सफेद फूल, चंदन, फल और धूप-दीप अर्पित करें। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र या ‘महामृत्युंजय मंत्र’ का जाप करें। रात्रि जागरण कर चार प्रहर की पूजा करें और अगले दिन शुभ मुहूर्त में व्रत का पारण करें।

सावन शिवरात्रि का महत्व

सावन शिवरात्रि का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व अत्यंत विशेष है। यह दिन भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने और जीवन के कष्टों से मुक्ति पाने का अवसर है। रुद्राभिषेक और मंत्र जाप से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और मन को शांति मिलती है। यह पर्व भक्तों को आध्यात्मिक ऊर्जा से जोड़ता है और उनके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है।

सावन शिवरात्रि भगवान शिव की भक्ति का अनुपम अवसर है। इस दिन विधिपूर्वक पूजा और व्रत से भोलेनाथ की कृपा प्राप्त की जा सकती है। शुभ मुहूर्त में रुद्राभिषेक और मंत्र जाप के साथ यह पर्व जीवन को सुखमय बनाता है।

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