New Delhi: पाकिस्तान के पंजाब प्रांत, सियालकोट और आस-पास के इलाकों में भारी बारिश और जलप्रलय ने मानव जीवन को संकट में डाल दिया है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अब तक 800 से ज़्यादा लोगों की जान जा चुकी है, जबकि 12 लाख से अधिक लोग प्रभावित हैं। करीब 2.5 लाख लोग अपने घरों को छोड़कर राहत शिविरों में शरण लेने को मजबूर हो चुके हैं।
बाढ़ का असर इतना व्यापक है कि 1,432 गांव जलमग्न हो चुके हैं। खेतों की फसलें पूरी तरह नष्ट हो गई हैं और व्यवसायिक गतिविधियां ठप पड़ी हैं। पूरे क्षेत्र में 700 राहत शिविर और 265 चिकित्सा शिविर लगाए गए हैं, लेकिन जमीनी हालात बदतर बने हुए हैं।
सियालकोट में बाढ़ और एक अजीब बयान
बाढ़ से प्रभावित सियालकोट जिले के दौरे पर पहुंचे पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा मोहम्मद आसिफ ने एक विवादास्पद बयान देकर सबका ध्यान खींचा। उन्होंने दावा किया कि भारत से छोड़े गए बाढ़ के पानी के साथ “लाशें, मवेशी और मलबा” पाकिस्तान में आ गया, जिससे राहत और बचाव कार्यों में रुकावट आ रही है। आसिफ ने कहा, “भारत जब भी पानी छोड़ता है, सियालकोट जैसे इलाके जो जम्मू से नीचे बहते जलमार्गों के पास स्थित हैं, वहां पर भारी बाढ़ आना आम बात है।” हालांकि उन्होंने यह स्वीकार भी किया कि भारत ने नदी जल छोड़े जाने की सूचना दो बार पहले ही भेजी थी।
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सोशल मीडिया पर बयानों की आलोचना
ख्वाजा आसिफ का बयान जैसे ही सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, पाकिस्तानी जनता ने तीखी प्रतिक्रिया दी। लोगों ने सरकार पर आरोप लगाया कि वह बुनियादी ढांचे की विफलता और आपदा से निपटने में अपनी असफलता से ध्यान हटाने के लिए भारत पर दोष मढ़ रही है। एक ट्विटर यूजर ने लिखा, “बाढ़ पानी से आती है, लाशों से नहीं।” दूसरे ने तंज कसा, “सरकार की तैयारी की पोल खोल दी बाढ़ ने, अब भारत बहाना बन रहा है।”
भारत-पाकिस्तान जल संबंध और सिंधु जल संधि का प्रसंग
भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) दशकों से जल बंटवारे का आधार रही है। हालांकि, अप्रैल 2025 में पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत ने इस संधि के तहत जानकारी साझा करना अस्थायी रूप से बंद कर दिया था। इसके बावजूद, भारत ने खराब मौसम और बाढ़ की चेतावनी पाकिस्तान को भेजी थी, जिसे रक्षा मंत्री ने अपने बयान में स्वीकारा भी। इस संधि के अंतर्गत भारत रावी, सतलुज और चिनाब नदियों पर पानी छोड़ने से पहले पाकिस्तान को सूचना देता है।
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38 वर्षों की सबसे भयावह बाढ़
पाकिस्तान के सिंचाई विभाग के अनुसार, यह 38 वर्षों में सबसे भयावह बाढ़ है, जिसमें रावी, सतलुज और चिनाब तीनों नदियां एक साथ उफान पर हैं। इससे बचाव कार्यों को भारी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। पाकिस्तानी सेना और एनडीएमए (राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण) के जवान चौबीसों घंटे बचाव और राहत अभियान में जुटे हुए हैं। लेकिन लगातार बारिश और जलभराव के कारण कई इलाकों तक पहुंचना भी मुश्किल हो गया है।