New Delhi: हेनले पासपोर्ट इंडेक्स (Henley Passport Index) ने अपनी 2025 की रैंकिंग जारी कर दी है, जिसमें यह दुनिया भर के पासपोर्ट को इस आधार पर रैंक करता है कि कितने देशों में वीजा‑मुक्त या वीजा ऑन अराइवल की सुविधा प्राप्त है। इस वर्ष की सूची में सिंगापुर शीर्ष स्थान पर है, जबकि भारत इस रैंकिंग में 85वें स्थान पर पहुंच गया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 5 स्थान की गिरावट दर्शाता है।
सिंगापुर शीर्ष, अमेरिका बाहर टॉप‑10 से। 2025 की रैंकिंग में सिंगापुर का पासपोर्ट दुनिया का सबसे शक्तिशाली पासपोर्ट बना है, जिसमें इसके नागरिक 193 देशों में वीजा‑रहित या वीजा ऑन अराइवल की सुविधा से प्रवेश कर सकते हैं।
इस सूची में जापान दूसरे स्थान पर है (190 देश), जबकि जर्मनी, इटली, स्पेन आदि यूरोपीय देशों ने टॉप‑5 में स्थान बनाए रखा है। रंग बदलने वाली बात यह है कि अमेरिकी पासपोर्ट इस बार टॉप‑10 से बाहर हो गया है, और अब यह सूची में अपेक्षाकृत नीचे स्थान प्राप्त कर रहा है।
भारत का पासपोर्ट: 85वां स्थान, 57 देश वीजा‑रहित
भारत इस रैंकिंग में 85वें स्थान पर खिसक गया है, जो कि पिछले वर्ष 80वें स्थान की तुलना में 5 स्थानों की गिरावट है। भारत के पासपोर्ट धारक अब दुनिया के लगभग 57 देशों तक वीजा‑रहित या वीजा ऑन अराइवल यात्रा कर सकते हैं। इस गिरावट का मतलब है कि भारत के पासपोर्ट धारकों की वैश्विक यात्रा की आजादी कम होती जा रही है, और अन्य देशों की तुलना में भारत के पास कम मोबाइलिटी है।
भारत की रैंकिंग में गिरावट, क्या कारण?
1. वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भारत पिछड़ना
दूसरे देशों ने अपने वीजा नीतियों में सुधार और द्विपक्षीय समझौतों को बढ़ाया है, जिससे उनकी पासपोर्ट पावर बढ़ी है। भारत इस प्रतिस्पर्धा में उस गति से नहीं बढ़ पाया है।
2. सीमित वीजा‑मुक्त समझौते
भारत को जितने देशों के साथ वीजा‑मुक्त या वीजा ऑन अराइवल समझौते करने की आवश्यकता है, उनमें अभी भी अधिक सुधार की गुंजाइश है।
3. विदेशी नागरिकता और यात्रा प्रतिबंध
कुछ देशों की नीति और सुरक्षा कारणों से यात्रा की शर्तें सख्त होती जा रही हैं। ये बदलाव भारतीय पासपोर्ट को प्रभावित कर सकते हैं।
4. अनुभव और साख का महत्व
जब एक देश की यात्रा नीति, सुरक्षा रिकॉर्ड और कूटनीतिक संबंध मजबूत होते हैं, तो उसके नागरिकों को अधिक वीजा‑मुक्त प्रवेश मिलता है।
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क्या संभावना है सुधार की?
भारत को विश्व स्तर पर और अधिक द्विपक्षीय वीजा समझौतों को मजबूत करना होगा। विदेश नीति को अधिक सक्रिय बनाकर भारत को ऐसी साख बनानी होगी कि अन्य देश आसानी से भारतीय नागरिकों पर वीजा प्रतिबंध न लगाएं।