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लोनावाला स्थित कैवल्यधाम में भारत के मुख्य न्यायाधीश डॉ. डी.वाई. चंद्रचूड़ को स्वामी कुवलयानंद योग पुरस्कार 2025 से सम्मानित किया गया। पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। यह आयोजन कैवल्यधाम की शताब्दी के उपलक्ष्य में हुआ।
डॉ. डी.वाई. चंद्रचूड़ को किया गया सम्मानित
Lonavala: लोनावाला के प्रसिद्ध योग संस्थान कैवल्यधाम में सोमवार को एक ऐतिहासिक अवसर पर भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश डॉ. डी.वाई. चंद्रचूड़ को स्वामी कुवलयानंद योग पुरस्कार 2025 से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार उन्हें योग और उसके सामाजिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक लाभों के प्रचार-प्रसार में उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रदान किया गया।
इस समारोह की शोभा पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने मुख्य अतिथि के रूप में बढ़ाई। उन्होंने कहा कि योग भारतीय संस्कृति की आत्मा है और डॉ. चंद्रचूड़ का सम्मान पूरे देश के लिए गर्व का विषय है। उन्होंने कहा कि योग केवल आसनों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आत्म-संयम, संतुलन और समाज के प्रति जिम्मेदारी का प्रतीक है। डॉ. चंद्रचूड़ ने इन मूल्यों को न केवल अपने कार्यक्षेत्र में बल्कि अपने जीवन में भी अपनाया है।
डॉ. डी.वाई. चंद्रचूड़ को किया गया सम्मानित
इस वर्ष के अन्य सम्मानितों में पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन, हरिद्वार की वरिष्ठ शोध सलाहकार डॉ. शर्ली टेल्स, और जनार्दन स्वामी योगाभ्यासी मंडल के अध्यक्ष योगाचार्य रामभाऊ खांडवे शामिल रहे। इन दोनों हस्तियों को योग के अनुसंधान और जनजागरण के क्षेत्र में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए सम्मानित किया गया।
यह आयोजन कैवल्यधाम के शताब्दी समारोह का केंद्रबिंदु रहा। संस्थान की स्थापना 1924 में स्वामी कुवलयानंद ने की थी, जिन्होंने योग को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से जोड़कर विश्वभर में इसकी नई पहचान स्थापित की। समारोह का आयोजन पारंपरिक वैदिक विधियों के साथ किया गया और इसे देशभर में लाइव प्रसारित किया गया। हज़ारों लोगों ने डिजिटल माध्यम से इसमें भाग लिया। सुरेश प्रभु ने कहा कि कैवल्यधाम न केवल योग का केंद्र है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, विज्ञान और आध्यात्मिकता के संगम का प्रतीक भी है।
स्वामी कुवलयानंद ने कैवल्यधाम की स्थापना इस विचार के साथ की थी कि योग को केवल धार्मिक अभ्यास नहीं, बल्कि वैज्ञानिक और स्वास्थ्यपरक विधा के रूप में देखा जाना चाहिए। आज यह संस्थान योग अनुसंधान, शिक्षा, और चिकित्सा के क्षेत्र में विश्व-स्तरीय केंद्र बन चुका है। यहाँ योग के पारंपरिक सूत्रों को आधुनिक चिकित्सा विज्ञान से जोड़कर तनाव, मानसिक असंतुलन, शारीरिक बीमारियों और जीवनशैली से जुड़ी चुनौतियों का उपचार किया जाता है। कोविड-19 महामारी के बाद कैवल्यधाम ने डिजिटल माध्यम से योग शिक्षा और मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ाने में भी बड़ी भूमिका निभाई है।
मुख्य न्यायाधीश डॉ. चंद्रचूड़ को इस सम्मान के लिए न केवल उनके न्यायिक योगदान के लिए बल्कि योग के माध्यम से समाज में संतुलन और नैतिक मूल्यों के प्रचार के लिए चुना गया। उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि योग हमें सिखाता है कि आंतरिक अनुशासन के बिना कोई भी बाहरी न्याय संभव नहीं है। न्याय और योग दोनों का लक्ष्य है। उन्होंने आगे कहा कि आधुनिक जीवनशैली में योग मानसिक शांति और स्थिरता का सबसे प्रभावी साधन बन चुका है।
योगाचार्य रामभाऊ खांडवे ने कहा कि योग केवल शारीरिक क्रियाओं का अभ्यास नहीं, बल्कि आत्म-परिवर्तन की यात्रा है। उन्होंने कहा कि आज के युवाओं को योग को जीवनशैली का हिस्सा बनाना चाहिए, न कि केवल एक फिटनेस रूटीन समझना चाहिए।
डॉ. शर्ली टेल्स ने कहा कि वैज्ञानिक अनुसंधान से यह सिद्ध हो चुका है कि योग शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करता है, मानसिक स्थिरता बढ़ाता है और गंभीर बीमारियों के उपचार में मददगार है। उन्होंने कहा कि कैवल्यधाम का कार्य इस दिशा में मील का पत्थर है।