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दिल्ली एयरपोर्ट पर ATC के ऑटोमैटिक मैसेज स्विच सिस्टम (AMSS) में खराबी के कारण 300 से अधिक फ्लाइट लेट हुईं। इसका असर दिल्ली के अलावा अहमदाबाद, अमृतसर, चंडीगढ़ जैसे एयरपोर्ट्स पर भी देखा गया। ATC और एयरलाइन ऑपरेशन प्रभावित हुए।
दिल्ली एयरपोर्ट पर फ्लाइट लेट (सोर्स- डाइनामाइट न्यूज़)
New Delhi: शुक्रवार को दिल्ली एयरपोर्ट पर 300 से अधिक फ्लाइट लेट हुईं। एयरपोर्ट के एयर ट्रैफिक कंट्रोल (ATC) सिस्टम में तकनीकी खराबी की वजह से फ्लाइट्स का शेड्यूल सही समय पर ATC को नहीं मिल पा रहा था।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ATC के ऑटोमैटिक मैसेज स्विच सिस्टम (AMSS) में गड़बड़ी आई, जो टेकऑफ और लैंडिंग की जानकारी एयर ट्रैफिक कंट्रोल को भेजता है। अधिकारी अब मैनुअली फ्लाइट शेड्यूल बना रहे हैं।
यात्री परेशान हैं। चेक-इन, गेट पर इंतजार और बोर्डिंग लेट हो रही है। कनेक्शन फ्लाइट छूटने का खतरा बढ़ गया है। यात्रियों ने सोशल मीडिया पर अपने अनुभव साझा किए हैं।
दिल्ली एयरपोर्ट पर रोजाना लगभग 1,500 फ्लाइट्स आती-जाती हैं। तकनीकी खराबी की वजह से एयरलाइन और एयरपोर्ट के रोज़मर्रा के कामकाज में देरी हुई। कई क्रू और कर्मचारी भी प्रभावित हुए।
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दिल्ली से आने-जाने वाली फ्लाइट्स प्रभावित हुईं। अहमदाबाद, अमृतसर, चंडीगढ़, बेतिया, लखनऊ और जयपुर के एयरपोर्ट्स पर भी देरी देखी गई।
1. स्मार्टविंग्स SG 8193- 3 घंटे से ज्यादा लेट
2. एयर इंडिया AI 2959- ढाई घंटे लेट
3. इंडिगो 2033- 2 घंटे लेट
4. अकासा एयर QP 1334- 1.5 घंटे लेट
5. एयर इंडिया 2715- लेट
ATC सिस्टम फेल (सोर्स- गूगल)
1. इंडिगो 6E2506- 1 घंटा लेट
2. एयर इंडिया AI1884- 5 घंटे लेट
3. एयर इंडिया AI496- 1:15 घंटा लेट
4. इंडिगो 6E6848- 2 घंटे लेट
5. एयर इंडिया AI492- 30 मिनट लेट
ATC यानी एयर ट्रैफिक कंट्रोल एक विमान को सुरक्षित उड़ान और लैंडिंग में मदद करता है। इसके मुख्य काम इस प्रकार हैं।
1. फ्लाइट प्लान: उड़ान से पहले रूट और समय ATC को भेजा जाता है।
2. क्लीयरेंस: टेकऑफ से पहले रनवे और दिशा की अनुमति दी जाती है।
3. ग्राउंड कंट्रोल: टैक्सी करते समय विमान की मूवमेंट संभालता है।
4. टावर कंट्रोल: टेकऑफ और लैंडिंग की मंजूरी देता है।
5. डिपार्चर कंट्रोल: उड़ान के बाद दिशा और ऊंचाई मॉनिटर करता है।
6. एरिया कंट्रोल: क्रूज स्पीड पर रडार और रेडियो से नजर रखता है।
7. सेपरेशन: दो विमानों के बीच सुरक्षित दूरी बनाए रखता है।
8. कम्युनिकेशन: पायलट और ATC रेडियो पर लगातार जुड़े रहते हैं।
9. एप्रोच कंट्रोल: रनवे पर लैंडिंग के लिए गाइड करता है।
10. लैंडिंग: टावर क्लीयरेंस के बाद ग्राउंड कंट्रोल पार्किंग तक गाइड करता है।
AMSS की खराबी के कारण फ्लाइट शेड्यूल ATC तक सही समय पर नहीं पहुँच रहा। इससे टेकऑफ और लैंडिंग में देरी हुई। ATC अधिकारी अब मैनुअली डेटा देखकर फ्लाइट ऑपरेशन कर रहे हैं।
दिल्ली एयरपोर्ट अथॉरिटी ने कहा है कि स्थिति को सामान्य करने के लिए तकनीकी टीम काम कर रही है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि सिस्टम कब तक सामान्य होगा।