New Delhi: देश में जब भी नागरिकता साबित करने की बात आती है, तो लोग अक्सर आधार कार्ड, पासपोर्ट या पैन कार्ड को ही मुख्य दस्तावेज मानते हैं। लेकिन भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 के अनुसार, ये दस्तावेज जरूरी नहीं हैं। अगर किसी व्यक्ति के पास ये तीनों पहचान पत्र नहीं हैं, तब भी वह अन्य दस्तावेजों की सहायता से अपनी नागरिकता साबित कर सकता है।
कौन माना जाएगा भारतीय नागरिक?
भारत सरकार के नियमों के मुताबिक, भारतीय नागरिकता पाने के कई आधार हैं। इनमें प्रमुख हैं, भारत में जन्म लेना, भारत में लंबे समय तक रहना और भारतीय माता-पिता से जन्म लेना। अगर कोई व्यक्ति इन मापदंडों पर खरा उतरता है, तो वह भारतीय नागरिक माना जाएगा, भले ही उसके पास आधार, पैन या पासपोर्ट न हो।
नागरिकता साबित करने के वैकल्पिक दस्तावेज
अगर किसी नागरिक के पास इन प्रमुख दस्तावेजों में से कोई नहीं है, तब भी वह अपनी पहचान और नागरिकता अन्य दस्तावेजों के जरिए सिद्ध कर सकता है-
- जन्म प्रमाण पत्र
- विद्यालय/कॉलेज के प्रमाण पत्र और रजिस्टर
- वोटर आईडी कार्ड
- राशन कार्ड
- बिजली, पानी या टेलीफोन का बिल
- घर की रजिस्ट्री या किराए का समझौता पत्र
- सरकारी नौकरी या सेवा से जुड़े दस्तावेज
- तहसील या पंचायत द्वारा जारी प्रमाण पत्र
इन दस्तावेजों के अलावा, अगर किसी के पास कुछ भी उपलब्ध नहीं है, तो स्थानीय प्रशासन, जैसे तहसील, नगर निगम या ग्राम पंचायत से जारी प्रमाण पत्र भी नागरिकता सिद्ध करने में उपयोगी हो सकते हैं।
स्थानीय प्रशासन की भूमिका
कई ग्रामीण या पिछड़े इलाकों में लोगों के पास लिखित दस्तावेज नहीं होते। ऐसी स्थिति में, प्रशासन गवाहों के बयान, ग्राम प्रधान की सिफारिश या अस्पताल रिकॉर्ड, स्कूल रजिस्टर, यहां तक कि पड़ोसियों की गवाही के आधार पर भी नागरिकता सिद्ध कर सकता है। इससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि कोई भी भारतीय नागरिक अपनी पहचान से वंचित न रहे।
जन्म प्रमाण पत्र की उम्र सीमा भी समाप्त
सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब जन्म प्रमाण पत्र बनवाने की कोई आयु सीमा नहीं है। पहले यह केवल बच्चों के लिए आवश्यक माना जाता था, लेकिन अब कोई भी व्यक्ति, किसी भी उम्र में, अगर आवश्यक हो तो अपना जन्म प्रमाण पत्र बनवा सकता है, जो कि पहचान और नागरिकता का एक मजबूत आधार बन सकता है।
कानूनी प्रक्रिया और अधिकार
किसी भी व्यक्ति को अवैध तरीके से नागरिक मानने से पहले सरकार और प्रशासन को पर्याप्त मौका देना होता है ताकि वह अपनी पहचान और नागरिकता साबित कर सके। यह संवैधानिक अधिकार है कि कोई भी व्यक्ति जब तक अपराध सिद्ध न हो जाए, उसे नागरिक माना जाता है।