रुपये को लोग अक्सर भारत से जोड़ते हैं, लेकिन इसकी जड़ें दक्षिण एशिया से लेकर हिंद महासागर क्षेत्र तक फैली हैं। संस्कृत के ‘रौप्य’ शब्द से निकला रुपया आज भी भारत, नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका, मॉरीशस और सेशेल्स की आधिकारिक मुद्रा है। जानें कैसे यह शब्द वैश्विक बना।

कौन-कौन से देश आज भी ‘रुपया’ का इस्तेमाल करते हैं (Img source: Google)
New Delhi: ज्यादातर लोग “रुपया” शब्द को भारत की मुद्रा मानते हैं, लेकिन इसका इतिहास सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है। यह शब्द दक्षिण एशिया से लेकर हिंद महासागर क्षेत्र के कई देशों की पहचान का हिस्सा बना हुआ है। रुपये की जड़ें संस्कृत शब्द ‘रौप्य’ में मिलती हैं, जिसका अर्थ है “चांदी” या “गढ़ी हुई चांदी।” इसी प्राचीन अवधारणा ने आधुनिक मुद्रा व्यवस्था को जन्म दिया।
रुपये को स्थापित करने का श्रेय 16वीं सदी के शासक शेर शाह सूरी को दिया जाता है। उन्होंने एक मानकीकृत चांदी के सिक्के को “रुपया” नाम दिया, जो आगे चलकर मुगल काल में पूरे उपमहाद्वीप में प्रचलित हो गया। ब्रिटिश शासन ने भी इस मुद्रा को बड़े पैमाने पर अपनाया, जिसके बाद यह शब्द कई देशों की आर्थिक पहचान का आधार बन गया।
कौन-कौन से देश आज भी ‘रुपया’ का इस्तेमाल करते हैं?
आजादी के बाद कई देशों ने अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने के लिए इस मुद्रा नाम को बरकरार रखा।
1. भारत (Indian Rupee - ₹)
भारतीय रुपया आज भी विश्व की सबसे पुरानी लगातार उपयोग में रहने वाली करेंसियों में शामिल है।
2. पाकिस्तान (Pakistani Rupee)
1947 के विभाजन के बाद पाकिस्तान ने भी अपनी मुद्रा के लिए “रुपया” नाम ही अपनाया।
3. नेपाल (Nepalese Rupee)
नेपाल का रुपया भारतीय रुपये से गहरे आर्थिक संबंध रखता है और कई सीमावर्ती क्षेत्रों में दोनों मुद्राएं चलती हैं।
4. श्रीलंका (Sri Lankan Rupee)
श्रीलंका ने भी अपने औपनिवेशिक इतिहास और आर्थिक प्रणालियों के कारण इस नाम को बनाए रखा।
5. मॉरीशस (Mauritian Rupee)
मॉरीशस में है जहॉं भारतीय मूल की आबादी अधिक है। व्यापार और ऐतिहासिक संबंधों ने भी रुपये को यहां अपनी जगह बनाने में मदद की।
6. सेशेल्स (Seychelles Rupee)
हिंद महासागर क्षेत्र में स्थित सेशेल्स में भी रुपये नामक मुद्रा चलती है।
कुछ देशों में करंसी का नाम तो रुपया नहीं है, लेकिन उसकी उत्पत्ति उसी संस्कृत मूल ‘रौप्य’ से हुई है।
• इंडोनेशिया का “रुपिया”
इंडोनेशियाई रुपिया चांदी आधारित मुद्रा की प्राचीन अवधारणा से ही प्रेरित है।
• मालदीव का “रूफिया”
मालदीव की करेंसी भी भारतीय मौद्रिक परंपरा से जुड़ी हुई मानी जाती है।
इनकी वर्तनी अलग जरूर है, लेकिन जड़ एक ही है।
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हालांकि इन सभी मुद्राओं का नाम एक है, लेकिन इनकी वैल्यू हर देश की आर्थिक नीति, विकास दर, महंगाई और वित्तीय स्थिरता पर निर्भर करती है। यही कारण है कि भारतीय रुपया, पाकिस्तानी रुपया या नेपाली रुपया-तीनों की कीमतें एक-दूसरे से काफी अलग हैं।
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