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जम्मू-कश्मीर के डोडा में फटा बादल, 10 से अधिक घर तबाह, सड़कों का संपर्क टूटा

जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले में बादल फटने की घटना ने भारी तबाही मचाई है। तेज बारिश और भूस्खलन से 10 से अधिक घर क्षतिग्रस्त हो गए हैं और कई सड़कें अवरुद्ध हो गई हैं। लगातार बारिश के कारण क्षेत्र में जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। प्रशासन ने राहत कार्य शुरू कर दिया है और प्रभावित परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है।
Post Published By: Nidhi Kushwaha
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जम्मू-कश्मीर के डोडा में फटा बादल, 10 से अधिक घर तबाह, सड़कों का संपर्क टूटा

Srinagar: जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले में शुक्रवार को भारी बारिश के बाद बादल फटने की घटना सामने आई, जिससे इलाके में तबाही मच गई। इस प्राकृतिक आपदा में 10 से अधिक मकान पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं, जबकि कई अन्य घरों को आंशिक नुकसान पहुंचा है। मौसम विभाग के अनुसार, क्षेत्र में बीते 24 घंटे से लगातार मूसलधार बारिश हो रही थी, जिसके कारण न केवल भूस्खलन हुआ बल्कि कई जगहों पर मिट्टी धंसने और पहाड़ों से पत्थर गिरने की घटनाएं भी हुईं। इससे डोडा को अन्य क्षेत्रों से जोड़ने वाली कई सड़कें और राष्ट्रीय राजमार्ग के हिस्से बंद हो गए हैं।

बचाव कर्मी तैनात

प्रशासन ने मौके पर आपदा राहत दल और बचाव कर्मियों को तैनात कर दिया है। प्रभावित परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है और राहत सामग्री वितरित की जा रही है। जिला प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे अनावश्यक रूप से बाहर न निकलें और सुरक्षित स्थानों पर रहें।

बताया जा रहा है कि थाथरी उप-मंडल में हुई इस आपदा में अब तक तीन लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 15 से अधिक रिहायशी घर पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। एनएच-244 का एक हिस्सा भी तेज बहाव में बह गया, जिससे इलाके का संपर्क देश के अन्य हिस्सों से कट गया है।

भारी बारिश और भूस्खलन ने बिगाड़ा जनजीवन

पिछले तीन दिनों से लगातार हो रही भारी बारिश ने डोडा समेत किश्तवाड़ और आसपास के कई इलाकों में जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। डिप्टी कमिश्नर हरविंदर सिंह ने जानकारी दी कि लगातार वर्षा के कारण भूस्खलन, मिट्टी धंसने और पहाड़ों से पत्थर गिरने की घटनाएं सामने आ रही हैं।

प्रभावित क्षेत्रों में नुकसान का जायजा

बादल फटने की सबसे बड़ी मार गंधोर और ठठरी सब-डिवीजन पर पड़ी है। डिप्टी कमिश्नर ने बताया कि गंधोर में दो लोगों और ठठरी में एक व्यक्ति की मौत हुई है। एक निजी स्वास्थ्य केंद्र, तीन पैदल पुल और गौशालाएं भी तबाही की चपेट में आ गए हैं। इसके अलावा, ग्रामीण क्षेत्रों में कई मवेशी लापता हैं और लोगों को खाद्य सामग्री तथा पीने के पानी की कमी का सामना करना पड़ रहा है।

चिनाब नदी के जलस्तर ने बढ़ाई चिंता

घटना के बाद चिनाब नदी के जलस्तर में भी अचानक बढ़ोतरी देखी गई है। नदी का सामान्य उच्चतम जलस्तर 900 फीट होता है, लेकिन वर्तमान में यह 899.3 मीटर तक पहुंच चुका है, जो कि केवल 1 मीटर कम है। अधिकारियों को आशंका है कि अगर बारिश ऐसे ही जारी रही, तो चिनाब नदी एचएफएल (Highest Flood Level) को पार कर सकती है, जिससे और तबाही हो सकती है।

प्रशासन ने तत्परता दिखाते हुए चिनाब नदी और उससे सटी सड़कों पर लोगों की आवाजाही को सीमित कर दिया है। बचाव दलों को तैनात किया गया है और प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है। राहत शिविरों में भोजन, पानी और स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। एनएच-244 को बहाल करने के लिए मशीनें और मजदूर लगाकर युद्धस्तर पर काम शुरू कर दिया गया है।

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