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पाकिस्तान सेना का ‘ऑपरेशन सरबाकफ’: विस्थापितों की संख्या 55,000 से अधिक, पढ़ें पूरी खबर

पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा क्षेत्र के बाजौर जिले में पाकिस्तान सेना ने तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के खिलाफ बड़े पैमाने पर अभियान शुरू किया है, जिससे हजारों लोग अपने घरों से विस्थापित हो गए हैं। यह अभियान अब तक 55,000 से अधिक लोगों को प्रभावित कर चुका है। कई इलाकों में कर्फ्यू लगाया गया है।
Post Published By: Asmita Patel
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पाकिस्तान सेना का ‘ऑपरेशन सरबाकफ’: विस्थापितों की संख्या 55,000 से अधिक, पढ़ें पूरी खबर

New Delhi: पाकिस्तान की सेना ने खैबर पख्तूनख्वा के बाजौर जिले में आतंकियों के खिलाफ एक नया अभियान शुरू किया है, जो कि तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के खिलाफ हो रहा है। इस अभियान को “ऑपरेशन सरबाकफ” के नाम से जाना जाता है। इस अभियान के तहत, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के गढ़ माने जाने वाले लोई मामुंड और वार मामुंड तहसीलें निशाने पर हैं। पिछले कुछ हफ्तों से पाकिस्तान सरकार और तालिबान के बीच शांति वार्ता विफल हो जाने के बाद इस अभियान को फिर से शुरू किया गया। विस्थापन के कारण बाजौर जिले में 55,000 से ज्यादा लोग अपने घरों से पलायन करने को मजबूर हो गए हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, इन विस्थापितों को सुरक्षा के लिए अस्थायी आश्रयों में भेजा गया है, लेकिन उनके लिए पर्याप्त राहत और संसाधनों का प्रबंध नहीं किया गया है।

कर्फ्यू, विस्थापन और टॉर्चर का आरोप

अवामी नेशनल पार्टी के सांसद निसार बाज ने खैबर पख्तूनख्वा विधानसभा में यह आरोप लगाया कि कर्फ्यू के कारण लगभग 4 लाख लोग अपने घरों में फंसे हुए हैं। इन लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने की अनुमति नहीं मिल रही है। उन्होंने यह भी दावा किया कि सरकार ने विस्थापितों के लिए पर्याप्त राहत कार्यों की व्यवस्था नहीं की है। कई परिवार टेंटों और सार्वजनिक इमारतों में रात बिताने को मजबूर हैं, जबकि यातायात की कमी ने स्थिति को और भी बदतर बना दिया है। सांसद निसार बाज ने सरकार पर आरोप लगाया कि राहत सामग्री और आश्रय के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं किए गए, और विस्थापितों की मदद करने के लिए कोई प्रभावी प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। इसके कारण वहां के लोग और बच्चे कठिन परिस्थितियों में रहने को मजबूर हो गए हैं।

सरकारी अधिकारियों की सफाई

सरकारी अधिकारियों का कहना है कि प्रभावित लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेजने और उन्हें भोजन व आश्रय प्रदान करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के सलाहकार मुबारक ख़ान जैब ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि स्कूलों को अस्थायी शरण स्थलों के रूप में तैयार किया गया है। इसके अलावा, जिला प्रशासन ने खार तहसील में 107 शैक्षिक संस्थानों को राहत शिविरों के रूप में चिह्नित किया है। हालांकि, ये प्रयास तब शुरू किए गए हैं जब लोगों की स्थिति बेहद गंभीर हो गई है और सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं।

शांति वार्ता का विफल होना और सेना की कार्रवाई

इससे पहले, पाकिस्तान सरकार ने तालिबान के साथ शांति वार्ता शुरू करने का प्रयास किया था, जिसमें तालिबान को अफगानिस्तान भेजने की योजना बनाई गई थी। लेकिन कई दौर की वार्ता के बावजूद, शुक्रवार को यह वार्ता पूरी तरह से विफल हो गई। इसके बाद पाकिस्तान सेना ने फिर से ऑपरेशन सरबाकफ को तेज किया और बाजौर जिले में त्वरित कार्रवाई शुरू की।

पाकिस्तान की सेना का इतिहास और विवाद

पाकिस्तानी सेना का आतंकवाद के खिलाफ अभियान हमेशा विवादों से घिरा रहा है। सेना द्वारा अपने ही नागरिकों के खिलाफ किए गए अत्याचार और टॉर्चर की घटनाएं कोई नई नहीं हैं। इस तरह की कार्रवाइयों से पाकिस्तान में मानवाधिकार उल्लंघनों को लेकर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में लगातार चिंता जताई जाती रही है। पाकिस्तान की सेना पर आरोप है कि वह नागरिकों को आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष के नाम पर उनके अधिकारों से वंचित करती है और उन्हें टॉर्चर करती है।

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