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मार्क जुकरबर्ग को 22 साल के लड़कों ने दी मात, बन गए दुनिया के सबसे युवा अरबपति; आखिर कौन हैं वो?

सैन फ्रांसिस्को की कंपनी मर्कोर 10 अरब डॉलर की वैल्यू के साथ यूनिकॉर्न बन गई है। इसे बनाने वाले संस्थापकों ने मार्क जुकरबर्ग को पीछे छोड़ते हुए नया रिकॉर्ड कायम किया है। एवरेज 22 साल के भारतीय और अमेरिकन मूल के 3 युवाओं की कंपनी ने यह कारनामा किया है।
Post Published By: Nidhi Kushwaha
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मार्क जुकरबर्ग को 22 साल के लड़कों ने दी मात, बन गए दुनिया के सबसे युवा अरबपति; आखिर कौन हैं वो?

New Delhi: भारतीय और अमेरिकन मूल के 22 साल के लड़कों ने एक अनोखा काम कर दिखाया है। मर्कोर के 22 वर्षीय संस्थापक दुनिया के सबसे युवा सेल्फ मेड अरबपति बन गए हैं। वो मार्क जुकरबर्ग पछाड़ते हुए, 2008 में 23 वर्ष की आयु में इस सूची में शामिल हुए थे। मर्कोर, यानी एक AI भर्ती स्टार्टअप की स्थापना तीन हाई स्कूल के दोस्तों ब्रेंडन फूडी, आदर्श हिरेमथ और सूर्या मिधा ने की, जिनमें आदर्श और सूर्या का ताल्लुक भारत से भी है।

फोर्ब्स के अनुसार, सैन फ्रांसिस्को में इस स्टार्टअप ने हाल ही में 35 करोड़ डॉलर की फंडिंग जुटाई है, जिससे कंपनी की वैल्यू 10 अरब डॉलर हो गई, इस फंडिंग के साथ, एआई कंपनी के सीईओ ब्रेंडन फूडी, सीटीओ आदर्श हिरेमठ और बोर्ड चेयरमैन सूर्या मिधा दुनिया के सबसे कम उम्र के सेल्फ मेड अरबपति बन गए हैं।

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अमेरिकी और भारतीय दोस्त ने मार्क जुकरबर्ग को पछाड़ा

खास बात यह है कि मर्कोर के तीन सह-संस्थापकों में से दो भारतीय-अमेरिकी हैं। दिलचस्प बात यह है कि मर्कोर के तीन सह-संस्थापकों में से दो भारतीय-अमेरिकी हैं। सूर्या मिधा और आदर्श हिरेमठ दोनों ने सैन जोस, कैलिफोर्निया स्थित बेलार्माइन कॉलेज प्रिपरेटरी से अपनी पढ़ाई पूरी की है। वहीं, सूर्या मिधा दूसरी पीढ़ी के अप्रवासी हैं। अपनी वेबसाइट पर उन्होंने बताया कि उनके माता-पिता नई दिल्ली से अमेरिका आए और वहीं बस गए। मिधा ने कहा, “मेरे माता-पिता नई दिल्ली, भारत से अमेरिका आए, मेरा जन्म माउंटेन व्यू में हुआ और मेरा पालन-पोषण सैन जोस, कैलिफोर्निया में हुआ।

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कैसे बनी ये कंपनी

फोर्ब्स की तरफ से हिरेमठ ने कहा, “मेरे लिए सबसे अजीब बात यह है कि अगर मैं मर्कोर पर काम नहीं कर रहा होता, तो मैं कुछ महीने पहले ही कॉलेज से स्नातक कर चुका होता। इतने कम समय में मेरी जिंदगी का रुख पूरी तरह बदल गया।” उस समय हिरेमठ हार्वर्ड में थे, जबकि मिधा जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय में विदेश अध्ययन में स्नातक की पढ़ाई कर रहे थे और ब्रेंडन फूडी भी जॉर्जटाउन में अर्थशास्त्र पढ़ रहे थे। फूडी और मिधा लगभग उसी समय जॉर्जटाउन छोड़कर मर्कोर पर ध्यान केंद्रित करने लगे, जब हिरेमठ ने हार्वर्ड छोड़ दिया था। तीनों संस्थापक थिएल फेलो भी हैं।

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