Patna: बिहार की राजनीति एक बार फिर नए रंग में रंग गई है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने परसा विधानसभा क्षेत्र से डॉ. करिश्मा यादव को पार्टी का उम्मीदवार बनाकर सभी को चौंका दिया है। करिश्मा, बिहार के सीजीएसटी कमिश्नर और निर्वाचन आयोग के नोडल अधिकारी विजय सिंह यादव की पत्नी हैं। खास बात यह है कि वे तेजप्रताप यादव की साली और पूर्व मुख्यमंत्री दरोगा राय की पोती हैं।
लालू यादव का यह फैसला न केवल सियासी हलकों में चर्चा का विषय बना है, बल्कि इसे एक “कैल्क्युलेटेड मूव” के रूप में देखा जा रहा है, जिससे पार्टी आगामी चुनावों में युवा और ग्रामीण वोटरों को अपने पक्ष में कर सके।
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“मैं लालच से नहीं आई, सेवा करने आई हूं”
टिकट मिलने के बाद डॉ. करिश्मा यादव ने सोशल मीडिया पर एक भावनात्मक पोस्ट लिखी। उन्होंने कहा, “मैं राजद में किसी लालच या महत्वाकांक्षा से नहीं आई हूं, बल्कि तेजस्वी और तेजप्रताप के नेतृत्व में जनता की सेवा करने आई हूं। लालू परिवार मेरे लिए परिवार के समान है। मैं हर जिम्मेदारी निभाने के लिए तैयार हूं।”
दरोगा राय की विरासत और करिश्मा की सियासी पारी
करिश्मा यादव बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री दरोगा राय की पोती हैं। दरोगा राय राज्य की राजनीति में उस दौर में सक्रिय थे जब सामाजिक न्याय की राजनीति अपने चरम पर थी। अब उनकी पोती का राजनीति में आना इस विरासत को नई दिशा देने के रूप में देखा जा रहा है। राजद को उम्मीद है कि करिश्मा के युवा और शिक्षित होने के कारण वे ग्रामीण और महिला मतदाताओं के बीच लोकप्रिय होंगी। पार्टी सूत्रों का मानना है कि यह उम्मीदवार न केवल परसा सीट को मज़बूत करेगी, बल्कि संगठन में नई ऊर्जा भी भरेगी।
ऐश्वर्या राय से जुड़े पारिवारिक समीकरण भी बने चर्चा का विषय
करिश्मा यादव का नाम सामने आते ही पुराना पारिवारिक विवाद एक बार फिर चर्चा में आ गया। दरअसल, वे ऐश्वर्या राय की चचेरी बहन हैं, जो तेजप्रताप यादव की पत्नी रही हैं। ऐश्वर्या और तेजप्रताप की शादी 2018 में हुई थी, लेकिन कुछ महीनों बाद ही दोनों अलग हो गए थे। मामला अब भी कोर्ट में विचाराधीन है।
ऐसे में ऐश्वर्या की चचेरी बहन को टिकट देना लालू यादव की एक “स्ट्रेटेजिक चाल” के रूप में देखा जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह कदम न केवल पुराने विवादों पर “ड्रॉ लाइन” खींचता है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि लालू यादव की राजनीति रिश्तों से ऊपर रणनीति को प्राथमिकता देती है।
लालू यादव की पुरानी शैली में नया खेल
लालू यादव अपने पुराने अंदाज में एक बार फिर सियासी खेल पलटने की कोशिश में हैं। करिश्मा को सिंबल देना न केवल भावनात्मक या पारिवारिक पहलू से जुड़ा निर्णय है, बल्कि यह एक सुनियोजित राजनीतिक प्रयोग भी है। राजद सूत्रों के अनुसार पार्टी को उम्मीद है कि यह निर्णय परसा सीट पर युवा मतदाताओं और महिलाओं के बीच नई ऊर्जा लाएगा। वहीं, विरोधी दल इसे लालू यादव का “सॉफ्ट फैमिली कार्ड” बता रहे हैं। कुल मिलाकर, लालू यादव का यह कदम बिहार की राजनीति में नया रंग भरता दिख रहा है, जहां परिवार, परंपरा और रणनीति तीनों एक साथ जुड़ते नजर आ रहे हैं।