Site icon Hindi Dynamite News

स्कूल बना कब्रगाह: एक ही चिता पर भाई-बहन का अंतिम संस्कार, मां बोली- भगवान मुझे ले जाता, मेरे बच्चों को बचा लेता

झालावाड़ के पिपलोड गांव में सरकारी स्कूल की जर्जर इमारत ढहने से सात मासूम बच्चों की मौत हो गई, जबकि 28 घायल हो गए। हादसे ने पूरे गांव को गहरे शोक में डुबो दिया है। मृत बच्चों में भाई-बहन मीना और कान्हा भी शामिल हैं। परिवारों के आंसुओं के बीच अब सवाल उठ रहे हैं- क्या ये हादसा था या प्रशासन की लापरवाही?
Post Published By: Asmita Patel
Published:
स्कूल बना कब्रगाह: एक ही चिता पर भाई-बहन का अंतिम संस्कार, मां बोली- भगवान मुझे ले जाता, मेरे बच्चों को बचा लेता

Rajasthan News: राजस्थान के झालावाड़ जिले के पिपलोड गांव का वह सरकारी स्कूल, जहां शुक्रवार को बच्चों की हंसी गूंजती थी, अब मातम और चीखों का ठिकाना बन चुका है। सुबह की प्रार्थना सभा के दौरान अचानक स्कूल की पुरानी बिल्डिंग का एक हिस्सा भरभरा कर गिर पड़ा। छात्रों के लिए यह हादसा इतना अचानक और भयावह था कि 35 से अधिक बच्चे मलबे के नीचे दब गए। इनमें से 7 बच्चों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि 28 को गंभीर चोटें आईं।

“भगवान मुझे ले जाता, मेरे बच्चों को बचा लेता”

इस हादसे में 6 साल का कान्हा और उसकी 12 साल की बहन मीना भी मारे गए। उनकी मां का विलाप पूरे गांव को रुला गया। मेरे तो दो ही बच्चे थे… अब घर सूना है, आंगन सूना है। गांव की यह मां अब उस आंगन को देखती है, जहां कभी मीना-कान्हा की हंसी गूंजती थी, और आज वहां बस खामोशी है।

एक ही चिता पर जले पांच मासूम

शनिवार को झालावाड़ के एसआरजी अस्पताल के बाहर का दृश्य दिल दहला देने वाला था। मॉर्च्युरी के सामने माताएं अपने बच्चों के शवों से लिपटी बैठी थीं। मीना और कान्हा समेत पांच बच्चों का एक ही चिता पर अंतिम संस्कार किया गया। यह दृश्य पूरे गांव को झकझोर गया। हर आंख नम थी, हर मन आक्रोश और अफसोस से भरा हुआ।

कहां थे टीचर? क्यों नहीं रोकी गई मौत?

घटना के बाद गांव में प्रशासन के प्रति गहरा गुस्सा देखने को मिला। एक मां चीखते हुए पूछ रही थी। टीचर कहां थे? जब दीवार गिरी तब कोई क्यों नहीं था? क्या बच्चों की जान की कोई कीमत नहीं? स्थानीय लोगों का आरोप है कि स्कूल की इमारत पहले से ही जर्जर थी और कई बार इसकी शिकायत की गई थी, लेकिन न तो मरम्मत हुई, न ही किसी ने ध्यान दिया।

लापरवाही या हत्या? जिम्मेदार कौन?

गांववालों ने बताया कि स्कूल की दीवार में दरारें थीं, छत झुकी हुई थी और भवन कभी भी गिर सकता था। इसके बावजूद बच्चों को उसी में पढ़ाया जा रहा था। इस गंभीर लापरवाही के खिलाफ लोग गुराड़ी चौराहे और एसआरजी अस्पताल के बाहर विरोध प्रदर्शन करने लगे। हंगामा इतना बढ़ा कि पुलिस को हल्का बल प्रयोग करना पड़ा और इस दौरान एक पुलिसकर्मी घायल हो गया।

शिक्षा व्यवस्था पर बड़ा सवाल

इस हादसे ने एक बार फिर दिखा दिया कि ग्रामीण भारत में शिक्षा व्यवस्था की नींव कितनी कमजोर है। जर्जर भवनों में पढ़ने को मजबूर बच्चे और लापरवाह सरकारी मशीनरी, दोनों मिलकर ऐसे हादसों को न्योता देते हैं।

Exit mobile version