2025 में सोने और चांदी के दाम रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गए हैं। सरकार ने राहत उपायों और इंपोर्ट ड्यूटी में कटौती के जरिए बाजार स्थिरता बनाए रखी। विशेषज्ञों का कहना है कि निकट भविष्य में कीमतों में उतार-चढ़ाव जारी रहेगा।

सोने-चांदी के दामों में आएगी गिरावट
New Delhi: साल 2025 के दौरान सोना और चांदी के भाव ने निवेशकों को हैरान कर दिया है। दोनों कीमती धातुएँ रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच चुकी हैं और उसी के आसपास कारोबार कर रही हैं। वित्त मंत्रालय के आंकड़ों और विशेषज्ञों के मुताबिक, इस तेजी के पीछे वैश्विक तनाव, महंगाई, कमजोर डॉलर और बढ़ती मांग प्रमुख कारण हैं।
इस साल सोने की कीमतों में 63 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई, जबकि चांदी के भाव ने 118 फीसदी उछाल मारा। चांदी की बढ़त ने सोने को भी पीछे छोड़ दिया है। इस प्रदर्शन ने स्टॉक मार्केट के रिटर्न को भी पीछे छोड़ दिया और यह साबित किया कि भारतीयों के लिए सोना और चांदी अभी भी एक भरोसेमंद निवेश और सुरक्षा का साधन हैं।
सोने-चांदी की कीमतों में इस तेजी के बाद संसद में भी सवाल उठे हैं। DMK के सांसद थिरु अरुण नेहरू और सुधा आर ने लोकसभा में कहा कि त्योहारों और शादियों के दौरान घरों पर बोझ कम करने के लिए केंद्र सरकार को ड्यूटी में कटौती, टैक्स में बदलाव या रिटेल प्राइस कंट्रोल जैसे उपायों पर विचार करना चाहिए। उन्होंने रुपये की स्थिरता और RBI के गोल्ड रिजर्व की भूमिका का भी उल्लेख किया।
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने बताया कि कीमती धातुओं की कीमतें मार्केट द्वारा तय होती हैं और सरकार सीधे इन्हें नियंत्रित नहीं करती। उन्होंने कहा कि हाल की तेजी वैश्विक राजनीतिक तनाव, आर्थिक अनिश्चितता, सुरक्षित निवेश की मांग और केंद्रीय बैंक द्वारा सोने की खरीदारी के कारण आई है।
फिर भी सरकार ने कई कदम उठाए हैं। जुलाई 2024 में सोने के इंपोर्ट पर कस्टम ड्यूटी 15% से घटाकर 6% कर दी गई थी। इसका उद्देश्य लैंडेड कॉस्ट को कम करना, तस्करी की प्रवृत्ति को रोकना और बाजार में स्थिरता लाना था। इसके अलावा, फिजिकल सोने की मांग को नियंत्रित करने और घरेलू स्टॉक को बढ़ावा देने के लिए गोल्ड मोनेटाइजेशन स्कीम (GMS), गोल्ड ETF और सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड जैसी योजनाएं लागू की गई हैं।
31 मार्च 2025 तक RBI के पास कुल 879.58 टन सोना था, जो पिछले साल की तुलना में 57.48 टन अधिक है। यह संकेत है कि केंद्रीय बैंक लगातार सोने की खरीदारी कर रहा है, जिससे रुपये पर भरोसा और बाहरी स्थिरता बनी रहती है। विशेषज्ञों के अनुसार, इससे बाजार में कीमतों पर नियंत्रण रखने में मदद मिलती है और अचानक उतार-चढ़ाव को सीमित किया जा सकता है।
वित्त मंत्रालय और बाजार विश्लेषकों के मुताबिक, सोने-चांदी के दामों में तेजी के कई कारण हैं। इनमें वैश्विक राजनीतिक और आर्थिक तनाव। अमेरिकी डॉलर की कमजोरी और फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद। मजबूत इंडस्ट्रियल डिमांड और सप्लाई में कमी। सुरक्षित निवेश के रूप में सोना और चांदी की बढ़ती मांग प्रमुख हैं।
कमोडिटी विशेषज्ञ राहुल कलंत्री के अनुसार, सोने को $4,275-$4,245 प्रति औंस पर सपोर्ट और $4,340-$4,375 पर रेजिस्टेंस मिल सकता है। चांदी के लिए $64-$64.55 प्रति औंस के स्तर पर रुकावट देखी जा सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि निकट भविष्य में कीमतों में उतार-चढ़ाव बना रहेगा। त्योहारी सीजन में छोटी गिरावट भी खरीदारों के लिए महत्वपूर्ण अवसर प्रदान कर सकती है।
भारत में दशकों से लोग सोना और चांदी को सुरक्षित निवेश के रूप में रखते आए हैं। फिजिकल सोना और चांदी खरीदकर रखना निवेशकों के लिए लॉन्ग टर्म में लाभदायक रहा है। इस साल की तेजी ने इसे और अधिक आकर्षक बना दिया है, लेकिन विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि निवेश करने से पहले बाजार की अस्थिरता और उतार-चढ़ाव को ध्यान में रखना जरूरी है।