New Delhi: भारतीय शेयर बाजार ने बुधवार को सपाट शुरुआत की, हालांकि शुरुआती घंटे में मामूली तेजी देखने को मिली। बीएसई सेंसेक्स 35 अंक की बढ़त के साथ 84,663.68 पर खुला, जबकि एनएसई निफ्टी 50 इंडेक्स 45 अंक की तेजी लेकर 25,982 के स्तर पर पहुंच गया। शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स करीब 200 अंकों तक उछलते हुए 84,725 के आसपास ट्रेड कर रहा था, वहीं निफ्टी 25,971 के स्तर पर टिका रहा। बाजार में यह हल्की तेजी घरेलू और वैश्विक संकेतों के मिश्रित रुझान के कारण देखने को मिली है।
सुस्त शुरुआत के बावजूद बाजार में सकारात्मक माहौल
मंगलवार को बाजार गिरावट के साथ बंद हुआ था। सेंसेक्स 150 अंक टूटा था और निफ्टी में भी लगभग 30 अंकों की गिरावट आई थी। ऐसे में बुधवार की फ्लैट शुरुआत निवेशकों की सतर्कता को दर्शाती है। हालांकि शुरुआती घंटे में हरे निशान में कारोबार से बाजार में हल्की सकारात्मकता लौटी है।
विश्लेषकों का कहना है कि वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता, कच्चे तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव, और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की आगामी नीतिगत घोषणा से पहले निवेशक सतर्क रुख अपना रहे हैं। साथ ही, घरेलू स्तर पर कंपनियों के तिमाही नतीजे भी बाजार की दिशा तय कर रहे हैं।
टॉप गेनर और लूजर
सुबह के सत्र में बीएसई पर एशियन पेंट्स, टाटा स्टील, सन फार्मा, रिलायंस इंडस्ट्रीज और एचसीएल टेक में बढ़त देखने को मिली। वहीं, महिंद्रा एंड महिंद्रा, बजाज फाइनेंस, इटरनल और आईटीसी शेयरों में गिरावट दर्ज की गई।
मेटल और फार्मा शेयरों में मजबूती का कारण वैश्विक कमोडिटी दामों में सुधार और हेल्थकेयर सेक्टर में बेहतर अर्निंग आउटलुक माना जा रहा है। वहीं, फाइनेंस और ऑटो सेक्टर पर ब्याज दरों को लेकर चिंता और डिमांड स्लोडाउन का असर दिख रहा है।
वैश्विक संकेतों का असर
एशियाई बाजारों की बात करें तो जापान का निक्केई और हांगकांग का हैंगसेंग इंडेक्स हल्की बढ़त में रहे, जबकि अमेरिकी बाजार मंगलवार को मिश्रित रुख के साथ बंद हुए थे। अमेरिकी बांड यील्ड में उतार-चढ़ाव और डॉलर की मजबूती से विदेशी निवेशकों की धारणा पर असर पड़ा है।
एफआईआई (विदेशी संस्थागत निवेशक) ने पिछले कुछ सत्रों में भारतीय बाजारों से मुनाफावसूली की है, जबकि डीआईआई (घरेलू संस्थागत निवेशक) ने खरीदारी का रुख बनाए रखा है। इससे बाजार में कुछ हद तक स्थिरता बनी हुई है।
निवेशकों को क्या करना चाहिए
विशेषज्ञों का कहना है कि फिलहाल बाजार में कंसॉलिडेशन फेज चल रहा है, यानी बड़ी तेजी या गिरावट की संभावना कम है। इस समय निवेशकों को अल्पकालिक उतार-चढ़ाव से घबराने की बजाय मजबूत फंडामेंटल वाले शेयरों पर ध्यान देना चाहिए।
शॉर्ट टर्म निवेशकों के लिए सलाह है कि वे स्टॉप लॉस का पालन करें और केवल तकनीकी संकेतों के आधार पर ट्रेड करें।
लॉन्ग टर्म निवेशकों को यह समय क्वालिटी स्टॉक्स को जोड़ने का माना जा रहा है, खासकर आईटी, फार्मा, इंफ्रा और बैंकिंग सेक्टर में अवसर हैं।
मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में हालिया तेजी के बाद वोलैटिलिटी बढ़ सकती है, इसलिए इन श्रेणियों में सावधानी जरूरी है।
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आगे की दिशा क्या हो सकती है?
बाजार की निकट अवधि की दिशा वैश्विक आर्थिक आंकड़ों, विदेशी पूंजी प्रवाह और घरेलू तिमाही नतीजों पर निर्भर करेगी। यदि फेडरल रिजर्व ब्याज दरों को स्थिर रखता है, तो उभरते बाजारों में निवेशक भावना मजबूत हो सकती है। वहीं, कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और रुपये की स्थिरता भी भारतीय बाजार के लिए सकारात्मक संकेत हैं।
तकनीकी रूप से निफ्टी के लिए 26,050 का स्तर रेजिस्टेंस और 25,900 का स्तर सपोर्ट माना जा रहा है। यदि निफ्टी 26,000 के ऊपर स्थिर रहता है, तो अल्पावधि में और तेजी देखने को मिल सकती है।
डिस्क्लेमर: यहां मुहैया जानकारी सिर्फ़ सूचना हेतु दी जा रही है, यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है। निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें।

