New Delhi: एचडीएफसी बैंक, जो भारत का सबसे बड़ा निजी बैंक है, ने हाल ही में एक बड़ा फैसला लिया। बैंक ने अपने हर एक शेयरधारक को एक और फ्री शेयर देने का ऐलान किया, जिसे 1:1 बोनस शेयर कहा जाता है। यानी अगर आपके पास 1 शेयर है, तो आपको एक और मुफ्त मिलेगा।
क्या सच में शेयर की कीमत 62% गिर गई?
इस बोनस शेयर के बाद बैंक के शेयरों की कुल संख्या दोगुनी हो गई। इस वजह से शेयर की कीमत अपने आप आधी हो गई, इसे ही तकनीकी समायोजन (technical adjustment) कहते हैं। मंगलवार को एचडीएफसी बैंक का शेयर करीब 62% नीचे खुला, लेकिन यह गिरावट असल में कोई नुकसान नहीं है।
इससे न HDFC बैंक की हालत खराब हुई है और न ही निवेशकों का पैसा डूबा है। आपके पास अब दोगुने शेयर हैं, तो कुल मिलाकर आपकी वैल्यू वही की वही है। ये बस शेयर के रेट में बदलाव है, कुल निवेश की कीमत में कोई फर्क नहीं पड़ा।
बोनस शेयर क्यों दिए जाते हैं?
बोनस शेयर देना इस बात का संकेत होता है कि कंपनी को अपने भविष्य पर भरोसा है। इससे शेयर सस्ते हो जाते हैं और ज्यादा लोगों को निवेश करने का मौका मिलता है। एचडीएफसी बैंक भी यही चाहता है कि उसके शेयर आम लोगों के लिए सुलभ हों।
कब तक खरीदना था शेयर?
बैंक ने बताया है कि बोनस शेयर पाने के लिए 26 अगस्त 2025 तक आपके नाम पर शेयर होना चाहिए। लेकिन शेयर बाजार की T+1 नियम के हिसाब से, जो भी निवेशक 25 अगस्त 2025 तक शेयर खरीद चुके थे, वही बोनस के लिए योग्य होंगे।
बोनस शेयर क्यों महत्वपूर्ण होते हैं?
बोनस शेयर कंपनी की अच्छी स्थिति और भविष्य को लेकर सकारात्मक दृष्टिकोण का संकेत होते हैं। इसका मतलब होता है कि कंपनी मुनाफे में है और शेयरधारकों को फायदा देना चाहती है। इससे कंपनी की छवि बेहतर होती है और निवेशकों का भरोसा बढ़ता है।
नतीजा क्या निकला?
तो अगर आपने देखा कि एचडीएफसी बैंक का शेयर अचानक सस्ता हो गया, तो घबराने की जरूरत नहीं है। यह सिर्फ एक कॉर्पोरेट प्रक्रिया का हिस्सा था। आपके निवेश की कुल कीमत अब भी वही है, बस अब आपके पास शेयर ज्यादा हैं और हर शेयर की कीमत थोड़ी कम है।