New Delhi: सोना भारतीय निवेशकों के लिए लंबे समय से सुरक्षा और स्थायित्व का प्रतीक रहा है। यह न केवल महंगाई के समय मूल्य में बढ़ोतरी के लिए जाना जाता है, बल्कि बाजार की अस्थिरता के दौरान भी एक सुरक्षित शरण के रूप में कार्य करता है। लेकिन आज के डिजिटल युग में सोने में निवेश सिर्फ इसे खरीदकर रखने तक सीमित नहीं है। अब आप ऑनलाइन और डिजिटल माध्यमों से भी सोने में निवेश कर सकते हैं वह भी बिना किसी भंडारण की चिंता के।
क्यों करें सोने में निवेश?
सोने को पोर्टफोलियो में विविधता लाने और बाजार जोखिम को संतुलित करने का बेहतरीन तरीका माना जाता है। जब शेयर बाजार में गिरावट आती है, तब सोने की कीमतों में आमतौर पर बढ़ोतरी देखी जाती है। यही कारण है कि निवेशक आर्थिक अनिश्चितता या भू-राजनीतिक तनाव के दौरान सोने की ओर रुख करते हैं। इसकी उच्च तरलता (High Liquidity) और वैश्विक मान्यता इसे जल्दी नकदी में बदलने योग्य बनाती है।
ऑनलाइन गोल्ड निवेश के विकल्प
आज के समय में सोने में निवेश के कई डिजिटल विकल्प मौजूद हैं
गोल्ड ETF (Exchange Traded Funds): ये स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेड होने वाले फंड होते हैं, जो सोने की कीमतों को ट्रैक करते हैं। इनमें निवेश करने के लिए ट्रेडिंग और डीमैट अकाउंट की जरूरत होती है।
सोवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB): सरकार द्वारा जारी ये बॉन्ड 8 वर्षों की अवधि के होते हैं और 2.5% सालाना ब्याज भी देते हैं। इन पर पूंजीगत लाभ पर टैक्स भी नहीं लगता।
डिजिटल गोल्ड: फोनपे, पेटीएम, गूगल पे जैसे प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से आप छोटे अमाउंट में भी सोने में निवेश कर सकते हैं। यह 99.9% शुद्धता के साथ सुरक्षित लॉकर में संग्रहित होता है।
गोल्ड कमोडिटी ट्रेडिंग (फ्यूचर्स और ऑप्शंस): यदि आप ट्रेडिंग का अनुभव रखते हैं, तो मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) के जरिए गोल्ड डेरिवेटिव्स में निवेश कर सकते हैं।
गोल्ड में फ्यूचर्स और ऑप्शंस
फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट्स में आप तय तारीख और कीमत पर सोने को खरीदने या बेचने का सौदा करते हैं। वहीं, गोल्ड ऑप्शंस आपको यह अधिकार देते हैं कि आप भविष्य की तारीख तक तय कीमत पर सोना खरीदें या बेचें, लेकिन यह बाध्यता नहीं होती। ऑप्शंस कम जोखिम वाले माने जाते हैं और ज्यादा लचीलापन प्रदान करते हैं।
कैसे करें ऑनलाइन गोल्ड ट्रेडिंग?
- एक मान्यताप्राप्त कमोडिटी ब्रोकर चुनें।
- ट्रेडिंग और डीमैट अकाउंट खोलें।
- MCX जैसे एक्सचेंज पर लिस्टेड गोल्ड कॉन्ट्रैक्ट चुनें।
- अपनी जोखिम क्षमता और पूंजी के आधार पर लॉट साइज तय करें।
- ट्रेड से पहले बाजार का विश्लेषण करें, फिर फ्यूचर्स या ऑप्शंस में ऑर्डर दें।
- बाजार की गतिविधियों के अनुसार अपने सौदे का प्रबंधन करें।
फायदे क्या हैं?
- पोर्टफोलियो विविधीकरण में मदद
- महंगाई और मुद्रा अस्थिरता से सुरक्षा
- कम मार्जिन में ज्यादा रिटर्न की संभावना
- फिजिकल स्टोरेज की कोई जरूरत नहीं
- बाजार में जल्दी प्रवेश और निकासी की सुविधा
हालांकि, यह समझना जरूरी है कि सोने की कीमतें अंतरराष्ट्रीय मांग और आपूर्ति से प्रभावित होती हैं। इसलिए निवेश से पहले उचित रिसर्च और जोखिम आकलन जरूरी है।