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Bihar Polls: उत्तर बिहार के हाथ में कांग्रेस की किस्मत का फैसला, क्या वापसी मुमकिन है?

उत्तर बिहार की राजनीति में कांग्रेस का प्रभाव अब लगभग समाप्त हो चुका है। प्रदेश की 71 विधानसभा सीटों में कांग्रेस के पास फिलहाल मात्र एक विधायक, मुजफ्फरपुर से विजेंद्र चौधरी हैं। पार्टी ने उन्हें इस बार भी मैदान में उतारा है, लेकिन मुकाबला उनके लिए आसान नहीं दिख रहा।
Post Published By: Poonam Rajput
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Bihar Polls: उत्तर बिहार के हाथ में कांग्रेस की किस्मत का फैसला, क्या वापसी मुमकिन है?

Patna: उत्तर बिहार की राजनीति में कांग्रेस का प्रभाव अब लगभग समाप्त हो चुका है। प्रदेश की 71 विधानसभा सीटों में कांग्रेस के पास फिलहाल मात्र एक विधायक, मुजफ्फरपुर से विजेंद्र चौधरी हैं। पार्टी ने उन्हें इस बार भी मैदान में उतारा है, लेकिन मुकाबला उनके लिए आसान नहीं दिख रहा। वहीं सकरा सीट से उमेश कुमार राम कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं।

18 प्रत्याशी मैदान में, जीत की राह कठिन

उत्तर बिहार में कांग्रेस ने इस बार कुल 18 प्रत्याशी उतारे हैं। इनमें बेनीपट्टी से नलिनी रंजन झा रूपम, फुलपरास से सुबोध मंडल, रीगा से अमित कुमार टुन्ना, बथनाहा (सु) से इंजीनियर नवीन कुमार, सुरसंड से सैयद अबू दोजाना, रक्सौल से श्याम बिहारी प्रसाद, गोविंदगंज से शशिभूषण राय, नौतन से अमित कुमार, चनपटिया से अभिषेक रंजन, बेतिया से वसी अहमद, नरकटियागंज से शाश्वत केदार, वाल्मीकिनगर से सुरेंद्र प्रसाद, बगहा से जयेश मंगल सिंह, बेनीपुर से मिथिलेश चौधरी, जाले से ऋषि मिश्रा और रोसड़ा (सु) से बी.के. रवि शामिल हैं। इन सभी सीटों पर कांग्रेस की राह आसान नहीं मानी जा रही।

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मुजफ्फरपुर : कांग्रेस के किले का पतन

मुजफ्फरपुर जिला कभी कांग्रेस का गढ़ माना जाता था। 1977 से पहले यहां के सभी 11 विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी का दबदबा था। लेकिन 90 के दशक के बाद कांग्रेस धीरे-धीरे राजनीतिक परिदृश्य से गायब होती गई। 1995 के चुनाव में विजेंद्र चौधरी ने कांग्रेस के तत्कालीन विधायक रघुनाथ पांडेय को हराकर जिले से कांग्रेस का सफाया कर दिया था। वहीं 25 साल बाद 2020 में यही विजेंद्र चौधरी कांग्रेस के टिकट पर जीतकर पार्टी को फिर से जीवित करने में सफल हुए।

पिछले ढाई दशक से हार की परंपरा

1990 के बाद कांग्रेस जिले में लगातार पराजित होती रही। 2010 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने सभी 11 सीटों पर उम्मीदवार उतारे, पर कोई भी उम्मीदवार दूसरे स्थान पर भी नहीं रहा। 2015 के चुनाव में पार्टी ने जिले में अपने बूते चुनाव लड़ने का साहस तक नहीं दिखाया।

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कांग्रेस की अंतिम जीतों की झलक

विधानसभा क्षेत्र जीते कांग्रेस उम्मीदवार वर्ष
पारू वीरेंद्र कुमार सिंह 1972
साहेबगंज नवल किशोर सिन्हा 1985
बरुराज जमुना सिंह 1980
कांटी शंभु शरण ठाकुर 1972
कुढ़नी शिवनंदन राय 1985
सकरा फकीरचंद राम 1980
मुजफ्फरपुर विजेंद्र चौधरी 2020
औराई राम बाबू सिंह 1972
गायघाट वीरेंद्र कुमार सिंह 1985
मीनापुर जनक सिंह 1969
बोचहां अब तक नहीं

उत्तर बिहार में कांग्रेस की राजनीतिक स्थिति बेहद कमजोर हो चुकी है। मुजफ्फरपुर जैसे ऐतिहासिक गढ़ में भी अब सिर्फ विजेंद्र चौधरी ही पार्टी की पहचान बचे हैं। आगामी चुनावों में अगर कांग्रेस को दोबारा मजबूती चाहिए, तो उसे नए नेतृत्व, स्थानीय जुड़ाव और जमीनी संगठन को पुनः खड़ा करने की जरूरत होगी।

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