Patna: बिहार की राजनीति में सोनपुर विधानसभा सीट एक अहम मुकाम रखती है। सारण जिले की इस सीट ने न सिर्फ दिग्गज नेताओं को विधानसभा भेजा बल्कि राज्य को दो मुख्यमंत्री भी दिए। राम सुंदर दास और लालू प्रसाद यादव इसी सीट से विधायक रहते हुए मुख्यमंत्री बने।
कांग्रेस ने जीता पहला चुनाव
सोनपुर सीट पर पहला चुनाव 1952 में हुआ, जिसमें कांग्रेस के जगदीश शर्मा ने जीत हासिल की थी। इसके बाद 1957 में निर्दलीय राम विनोद सिंह ने और 1962 में सीपीआई के शियो बचन सिंह ने जीत दर्ज की।
लगातार तीन बार कांग्रेस ने दर्ज कराई जीत
1967 से लेकर 1972 तक यह सीट कांग्रेस के राम जयपाल सिंह यादव के कब्जे में रही, जिन्होंने तीन बार लगातार जीत दर्ज की। वह उपमुख्यमंत्री भी बने। लेकिन 1977 के आपातकाल के बाद हुए चुनाव में राजनीतिक बयार बदली और जनता पार्टी के राम सुंदर दास ने जीत हासिल की। वे बाद में मुख्यमंत्री बने, हालांकि उनका कार्यकाल सिर्फ 10 महीनों का रहा।
लालू प्रसाद ने दस साल संभाली कमान
1980 में पहली बार लालू प्रसाद यादव ने इस सीट से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। उन्होंने यहां से 10 साल तक प्रतिनिधित्व किया। 1985 में भी वे भारी मतों से विजयी रहे। 1990 और 1995 में जनता दल के राजकुमार राय ने दो बार कांग्रेस को हराया।
इस साल बीजेपी को मिली पहली जीत
साल 2000 में बीजेपी ने पहली बार इस सीट पर जीत दर्ज की। विनय कुमार सिंह ने राजद के रामानुज प्रसाद को हराया। इसके बाद 2005 में दो बार चुनाव हुए और दोनों बार रामानुज प्रसाद ने वापसी की। 2010 में राबड़ी देवी को इसी सीट से हार का सामना करना पड़ा। बीजेपी के विनय सिंह ने उन्हें 20,000 से अधिक वोटों से हराया।
2015 और 2020 में रामानुज प्रसाद ने फिर से वापसी की और दोनों बार विनय सिंह को शिकस्त दी। खास बात यह रही कि इन दोनों चुनावों में हार-जीत का अंतर क्रमशः 36,396 और 6,686 वोटों का रहा।
बदलता रहता है सीट का समीकरण
सोनपुर विधानसभा सीट का इतिहास दिखाता है कि यहां की जनता समय-समय पर सत्ता और विपक्ष को संतुलित जवाब देती रही है। 2025 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर से इस सीट पर सभी की निगाहें टिकी होंगी। लालू-राबड़ी का गढ़ कही जाने वाली इस सीट का समीकरण बदलता रहा है, जो इसे बिहार की राजनीति की सबसे चर्चित सीटों में से एक बनाता है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि 2025 में जनता किसे अपना प्रतिनिधि चुनती है।