Uttarakhand: उत्तराखंड के नैनीसैनी एयरपोर्ट के पास स्थित देवल गाँव में लगातार हो रहे भूस्खलन से ग्रामीण भय और असुरक्षा में जी रहे हैं। हाल ही में हुई भारी बारिश और दर्दनाक हादसे ने इस संकट को और गहरा कर दिया। इसी बीच 130 ईको टीए (कुमाऊँ) ने एक सराहनीय कदम उठाते हुए गाँव में विशाल वृक्षारोपण अभियान चलाया और भूस्खलन रोकने के लिए दीर्घकालिक समाधान की दिशा में ठोस पहल की।
इस अभियान के तहत बटालियन ने ग्रामीणों की मांग को स्वीकार करते हुए 3000 पौधे उपलब्ध कराए और उनके सहयोग से वृक्षारोपण कराया। लगभग 250 ग्रामीणों—जिनमें पुरुष, महिलाएँ, पूर्व सैनिक और बटालियन के जवान शामिल थे।
गाँव के लोग हाल ही में हुए दर्दनाक हादसे से अब भी उबर नहीं पाए हैं। कुछ दिन पहले एक 11 वर्षीय बालक की चट्टान गिरने से मृत्यु हो गई थी, जिसके बाद ग्रामीणों को अपने घर छोड़कर पास के विद्यालय में शरण लेनी पड़ी। इस परिस्थिति में वृक्षारोपण ने उन्हें न केवल आशा दी बल्कि सुरक्षा का भी एहसास कराया।
भूस्खलन रोकने और पर्यावरण संरक्षण को केंद्र में रखकर किए गए इस अभियान से यह संदेश गया कि पर्वतीय क्षेत्रों में वनों का महत्व केवल पर्यावरणीय संतुलन के लिए नहीं, बल्कि मानव जीवन की सुरक्षा के लिए भी अत्यंत आवश्यक है।
130 ईको टीए (कुमाऊँ) की इस पहल ने ना सिर्फ ग्रामीणों का विश्वास जीता, बल्कि सेना और नागरिक समाज के बीच आपसी सहयोग और सद्भाव को भी और मजबूत बनाया है। लगातार इस तरह की पहलों से पिथौरागढ़ जिले में जन-जागरूकता और पर्यावरण संरक्षण दोनों को नई दिशा मिल रही है।

