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रुद्रप्रयाग में हिमालयन गोरल शिकार मामला: वन विभाग की कार्रवाई से आरोपी हिरासत में, जानें कैसे पकड़ा गया बदमाश

रुद्रप्रयाग वन विभाग ने हिमालयन गोरल का अवैध शिकार करने वाले बृजमोहन नेगी को गिरफ्तार किया। अभियुक्त ने अपराध स्वीकार किया। उसे वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत न्यायिक अभिरक्षा में भेजा गया। टीम ने त्वरित कार्रवाई कर जंगल संरक्षण की मिसाल पेश की।
Post Published By: Subhash Raturi
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रुद्रप्रयाग में हिमालयन गोरल शिकार मामला: वन विभाग की कार्रवाई से आरोपी हिरासत में, जानें कैसे पकड़ा गया बदमाश

Rudraprayag: उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग वन विभाग ने हिमालयन गोरल के अवैध शिकार मामले में महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है। गुप्तकाशी यूनिट के अंतर्गत ग्राम राऊलैंक निवासी बृजमोहन नेगी को हिरासत में लिया गया। अभियुक्त ने अपने घर पर हिमालयन गोरल का मांस पकाने की सूचना मिलने के बाद वन विभाग की टीम ने त्वरित कार्रवाई की।

सूचना पर हुई कार्रवाई

उप प्रभागीय वन अधिकारी डीएस पुंडीर ने बताया कि सूचना मिलने के तुरंत बाद वन विभाग की संयुक्त टीम को घटना स्थल पर भेजा गया। टीम में वन क्षेत्राधिकारी गुप्तकाशी, वन दरोगा अभिषेक नेगी, वन आरक्षी कुलजीत सिंह और दैनिक श्रमिक दलीप बिष्ट शामिल थे।

अपराध की स्वीकारोक्ति

जांच के दौरान अभियुक्त बृजमोहन नेगी और उसके परिजनों ने हिमालयन गोरल का शिकार करने और अपने घर पर मांस पकाने की बात स्वीकार की। उन्होंने बताया कि यह कार्य वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972, संशोधित 2022 की धारा-9, 39 और 44 के अंतर्गत दंडनीय अपराध है।

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न्यायिक कार्रवाई

अभियुक्त को वन क्षेत्राधिकारी गुप्तकाशी ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट रुद्रप्रयाग के समक्ष पेश किया। न्यायालय ने अभियुक्त को न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया। यह कदम वन्यजीव संरक्षण और स्थानीय कानून के प्रति गंभीरता का संदेश देता है।

वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की धाराएं

वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972, संशोधित 2022 की धारा-9, 39 और 44 के तहत किसी भी संरक्षित प्राणी का अवैध शिकार करना और मांस पकाना गंभीर अपराध है। हिमालयन गोरल अनुसूची प्रथम में सूचीबद्ध है और इसकी सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाता है।

हिमालयन गोरल का अवैध शिकार (सोर्स- डाइनामाइट न्यूज़)

वन विभाग की सराहनीय त्वरित कार्रवाई

डीएस पुंडीर ने बताया कि टीम की त्वरित कार्रवाई ने न केवल आरोपी को पकड़ने में सफलता दी, बल्कि जंगल और वन्यजीव संरक्षण के प्रति जागरूकता भी बढ़ाई। इस कदम से यह संदेश गया कि अवैध शिकार के मामलों में विभाग शून्य सहिष्णुता नीति अपनाता है।

सामाजिक और पर्यावरणीय महत्व

हिमालयन गोरल जैव विविधता के लिए महत्वपूर्ण प्रजाति है। इसके अवैध शिकार से पारिस्थितिक तंत्र पर गंभीर असर पड़ सकता है। ऐसे मामलों में कड़े कानून और पुलिस की तत्परता पर्यावरण संरक्षण में मदद करती है।

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आगे की कार्रवाई

वन विभाग ने बताया कि अभियुक्त के खिलाफ लंबी कानूनी कार्रवाई की जाएगी। वहीं, वन क्षेत्र में निगरानी और गश्त बढ़ा दी गई है ताकि भविष्य में ऐसे अवैध शिकार को रोका जा सके।

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