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Uttarakhand News: सीएम सुरक्षा मामले में बड़ा अपडेट, जानें अब क्या हुआ

कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में सीएम धामी की सफारी के दौरान अनफिट जिप्सी का इस्तेमाल हुआ। जांच में लापरवाही सामने आने पर तीन और कर्मचारी निलंबित किए गए।
Post Published By: Tanya Chand
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Uttarakhand News: सीएम सुरक्षा मामले में बड़ा अपडेट, जानें अब क्या हुआ

Dehradun: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व सफारी के दौरान हुई सुरक्षा चूक के मामले में अब प्रशासन ने सख्ती दिखानी शुरू कर दी है। इस गंभीर लापरवाही के मामले में पहले से ही जिप्सी चालक को निलंबित किया जा चुका था और अब जांच रिपोर्ट के आधार पर तीन और कर्मचारियों पर गाज गिर चुकी है।

गौरतलब है कि 6 जुलाई को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के ढेला और झिरना जोन में जंगल सफारी की थी। सफारी के दौरान जिस जिप्सी वाहन का इस्तेमाल किया गया था, वह लंबे समय से अनफिट थी और उसकी फिटनेस पांच साल पहले ही समाप्त हो चुकी थी। मुख्यमंत्री जैसे संवेदनशील पद पर आसीन व्यक्ति की सुरक्षा में इस तरह की लापरवाही ने पूरे वन विभाग और प्रशासन को कटघरे में ला खड़ा किया।

जैसे ही यह मामला उजागर हुआ, पहले जिप्सी चालक उमर को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया था। अब इस मामले में पीसीसीएफ (वाइल्डलाइफ) रंजन कुमार मिश्रा द्वारा सौंपी गई जांच रिपोर्ट के आधार पर तीन अन्य कर्मचारियों को भी निलंबित कर दिया गया है। इनमें वन विभाग के फील्ड स्टाफ से लेकर निरीक्षण से जुड़े अधिकारी शामिल बताए जा रहे हैं।

सूत्रों के अनुसार, जांच रिपोर्ट में यह बात सामने आई कि सफारी में उपयोग किए गए वाहन की स्थिति पूरी तरह खराब थी और वह जंगल सफारी के मानकों पर खरा नहीं उतरता था। इसके बावजूद उच्च अधिकारियों की जानकारी के बिना उस जिप्सी का उपयोग मुख्यमंत्री की यात्रा के दौरान किया गया।

सुरक्षा मानकों की अनदेखी, खासकर जब मामला किसी वीआईपी की यात्रा से जुड़ा हो, बेहद गंभीर माना जाता है। यह केवल एक लापरवाही नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री की सुरक्षा से सीधा खिलवाड़ था। यही कारण है कि सरकार ने इस मामले में तेजी से कार्रवाई की और अब इस पूरे प्रकरण की जांच को और गहराई से करने के निर्देश दिए गए हैं।

वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं से बचने के लिए सभी वाहनों की फिटनेस और उपयोग प्रक्रिया की नियमित समीक्षा की जाएगी, और किसी भी स्तर पर लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह मामला उत्तराखंड में वीआईपी सुरक्षा और विभागीय जवाबदेही पर कई गंभीर सवाल खड़े कर रहा है।

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