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प्रयागराज वासियों को सता रहा है किस बात का डर, आने वाली है बड़ी आफत?

प्रयागराज में गंगा और यमुना नदियों के जलस्तर में तेजी से गिरावट दर्ज की जा रही है, जिससे एक ओर जहां राहत की सांस ली जा रही है, वहीं दूसरी ओर अब नए खतरे दस्तक देने लगे हैं। प्रशासनिक स्तर पर बाढ़ का असर भले ही खत्म होता नजर आ रहा हो, लेकिन जमीन पर स्थिति कुछ और ही कहानी बयां कर रही है।
Post Published By: Poonam Rajput
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प्रयागराज वासियों को सता रहा है किस बात का डर, आने वाली है बड़ी आफत?

Prayagraj: प्रयागराज में गंगा और यमुना नदियों के जलस्तर में तेजी से गिरावट दर्ज की जा रही है, जिससे एक ओर जहां राहत की सांस ली जा रही है, वहीं दूसरी ओर अब नए खतरे दस्तक देने लगे हैं। प्रशासनिक स्तर पर बाढ़ का असर भले ही खत्म होता नजर आ रहा हो, लेकिन जमीन पर स्थिति कुछ और ही कहानी बयां कर रही है।

जलस्तर में आई गिरावट से राहत, लेकिन…

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक,  गुरुवार सुबह मिली जानकारी के अनुसार, बीते 24 घंटे में फाफामऊ में गंगा का जलस्तर 56 सेंटीमीटर और छतनाग में 67 सेंटीमीटर घटा है। आज सुबह आठ बजे तक फाफामऊ में गंगा 81.17 मीटर और छतनाग में 80.13 मीटर दर्ज की गई। उधर नैनी में यमुना नदी का जलस्तर 61 सेंटीमीटर घटकर 80.59 मीटर रहा। ये आंकड़े एक ओर राहत की खबर दे रहे हैं, लेकिन इन आंकड़ों के नीचे एक नई चिंता छिपी है – संक्रामक बीमारियों का खतरा।

बाढ़ का पानी उतरा, गंदगी ने ली जगह

शहर के कई रिहायशी इलाकों से बाढ़ का पानी पूरी तरह से हट चुका है, लेकिन जहां पानी गया, वहां गंदगी छोड़ गया है। कूड़ा, कीचड़, मरे हुए जीव-जंतु और सीवर का पानी मिलकर संक्रमण फैलाने वाले वातावरण का निर्माण कर चुके हैं। सबसे अधिक खतरा डेंगू, मलेरिया, हैजा, और त्वचा संबंधी रोगों का है।

नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग अलर्ट

नगर निगम ने संवेदनशील इलाकों में कीटनाशक दवाओं का छिड़काव शुरू कर दिया है। दवाइयों के साथ-साथ हेल्थ टीम भी मौके पर पहुंची है। प्रभावित मोहल्लों में क्लोरीन की गोलियों का वितरण भी किया जा रहा है। हालांकि स्थानीय लोग प्रशासन की रफ्तार को धीमा बता रहे हैं और खुद ही सफाई अभियान में जुटे हैं।

झूंसी का बदरा-सुनौटी इलाका अब भी टापू जैसा

एक तरफ जहां शहर के केंद्र में हालात सामान्य हो रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ झूंसी का बदरा सुनौटी इलाका अब भी बाढ़ की चपेट में है। यहां के गांवों का शहर से संपर्क लगभग कट चुका है। लोग अब भी नाव से आ-जा रहे हैं। बच्चों की स्कूलों में उपस्थिति पूरी तरह बंद है। ग्रामीणों ने प्रशासन से स्थायी समाधान की मांग की है – एक मजबूत पुल।

स्थानीयों की पीड़ा, प्रशासन से अपील

स्थानीय निवासी रामवृक्ष यादव ने बताया, “हर साल यही होता है। पानी आता है, फिर नाव चलती है और महीनों तक कीचड़ से बीमारियां फैलती हैं। हमें पुल चाहिए, दवाइयां चाहिए, और एक स्थायी योजना चाहिए।”

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