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परफारमेंस ग्रांट में चयनित ग्राम सभा की स्थिति दयनीय, ग्रामीणों ने कहा-जीना दूभर

महराजगंज के शीतलापुर में परफारमेंस ग्रांट के दावे खोखले साबित हो रहे हैं। जर्जर सड़कें और नालियों की कमी ने ग्रामीणों का जीना दूभर कर दिया है।
Post Published By: Nidhi Kushwaha
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परफारमेंस ग्रांट में चयनित ग्राम सभा की स्थिति दयनीय, ग्रामीणों ने कहा-जीना दूभर

Mahrajganj: उत्तर प्रदेश के महराजगंज जनपद के सिसवा विकासखंड के ग्रामसभा शीतलापुर में सरकार द्वारा परफारमेंस ग्रांट के तहत गांव की तस्वीर बदलने के तमाम दावों पर ग्राम प्रधान और जिम्मेदार अधिकारी पानी फेरते नजर आ रहे हैं।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, महराजगंज जिले में कुल 14 ग्राम सभाओं को परफारमेंस ग्रांट योजना के तहत चयनित किया गया है। इस योजना का उद्देश्य गांवों को बुनियादी सुविधाओं से लैस करना और साफ-सफाई एवं विकास कार्यों को गति देना है। इसके लिए करोड़ों रुपये की धनराशि जारी भी की गई है, लेकिन जमीनी हकीकत इसके ठीक उलट दिखाई दे रही है।

जर्जर सड़क से बढ़ी परेशानी

दरअसल, शीतलापुर ग्रामसभा इसका जीता जागता उदाहरण बन चुका है। गांव के मुख्य मार्ग की हालत इतनी जर्जर हो चुकी है कि बरसात के दिनों में रास्तों पर कीचड़ और गंदा पानी भर जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि कई बार ग्राम प्रधान और ग्राम विकास अधिकारी से सड़क मरम्मत और नाली निर्माण के लिए शिकायत की गई, लेकिन आज तक कोई सुनवाई नहीं हुई।

गांव में बढ़ रहा संक्रमण का खतरा

वहीं स्थानीय निवासी बताते हैं कि घरों में लगे नल से निकलने वाला पानी और रसोई-बाथरूम का गंदा पानी नालियों के अभाव में घरों के सामने ही जमा हो रहा है। इससे संक्रामक रोगों का खतरा भी बढ़ गया है। महिलाओं और बच्चों का घर से निकलना मुश्किल हो गया है। ऐसे में महराजगंज के शीतलापुर में परफारमेंस ग्रांट के दावे खोखले साबित हो रहे हैं। जर्जर सड़कें और नालियों की कमी ने ग्रामीणों का जीना दूभर कर दिया है।

विकास के नाम पर हो रही खानापूर्ति

ग्रामीणों ने बताया कि गांव में विकास के नाम पर सिर्फ कागजी खानापूर्ति की जा रही है। शिकायत करने पर भी जिम्मेदार लोग ग्रामीणों की बातें सुनने को तैयार नहीं हैं। अब गांव के लोग उच्चाधिकारियों से गुहार लगा रहे हैं कि गांव की बदहाल सड़कों और नालियों की समस्या का जल्द समाधान किया जाए ताकि परफारमेंस ग्रांट का उद्देश्य सही मायने में पूरा हो सके। अब देखना ये है कि प्रशासन इस मामले में क्या कदम उठाता है, ताकि ग्रामीणों को इस परेशानी से निजात मिल सके।

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