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रिहंद बांध का बढ़ा जलस्तर, तीन फाटक खोलकर शुरू की गई जल निकासी, निचले इलाकों में अलर्ट जारी

रात भारी बारिश के बाद रिहंद बांध का जलस्तर 869 फीट पार कर गया। प्रशासन ने जल निकासी के लिए तीन फाटक खोले और निचले इलाकों में अलर्ट जारी किया।
Post Published By: सौम्या सिंह
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रिहंद बांध का बढ़ा जलस्तर, तीन फाटक खोलकर शुरू की गई जल निकासी, निचले इलाकों में अलर्ट जारी

Sonbhadra: पिपरी स्थित रिहंद बांध में लगातार बारिश के चलते जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। सोमवार को बांध का जलस्तर 869.1 फीट पहुंच गया, जिसके बाद जल प्रबंधन के तहत तीन फाटक खोल दिए गए। सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता राजेश शर्मा ने जानकारी दी कि सोमवार सुबह 10:30 बजे पहला फाटक और दोपहर 1 बजे तक दो और फाटक खोले गए। जलस्तर को नियंत्रित करने के लिए तीनों फाटकों को 16 फीट तक खोला गया है और करीब 47,000 क्यूसेक पानी की निकासी की जा रही है।

24 साल बाद दोबारा जुलाई में खुले रिहंद बांध के फाटक

यह वर्ष 2025 में दूसरी बार है जब रिहंद बांध के फाटक खोले गए हैं। इससे पहले जुलाई माह में जब जलस्तर 868 फीट को पार कर गया था, तब 24 वर्षों के बाद पहली बार जुलाई में फाटक खोला गया था। उस समय एक फाटक को खोलकर जल निकासी की गई थी और चार दिन बाद जलस्तर घटने पर उसे बंद कर दिया गया था। फाटक बंद होने के समय जलस्तर 867.8 फीट था। लेकिन, महज दो दिनों में भारी वर्षा के कारण बांध का जलस्तर 869 फीट से ऊपर पहुंच गया, जिसके बाद एक बार फिर फाटकों को खोलना पड़ा।

अधिशासी अभियंता ने बताया कि रविवार रात बांध के कैचमेंट एरिया में भारी बारिश हुई, जिससे जल की आमद बहुत तेज हो गई। इस स्थिति को देखते हुए बांध पर बनी सभी छह टरबाइनें भी पूरी क्षमता से चलाई जा रही हैं। साथ ही तीनों फाटकों से पानी छोड़कर जलस्तर को नियंत्रित किया जा रहा है।

बढ़ते जलस्तर से प्रशासन सतर्क

प्रशासन की ओर से बांध के निचले इलाकों में रह रहे लोगों को अलर्ट जारी किया गया है। लोगों से अपील की गई है कि वे जल निकासी क्षेत्र के पास न जाएं और सुरक्षित स्थानों पर रहें। संभावित खतरे को देखते हुए प्रशासन पूरी तरह सतर्क है और संबंधित विभागों को भी अलर्ट पर रखा गया है।

यह भी उल्लेखनीय है कि रिहंद बांध का यह जल निकासी कार्य न केवल स्थानीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से आवश्यक है, बल्कि इससे जलाशय की संरचनात्मक स्थिरता भी सुनिश्चित होती है। जलस्तर अगर नियंत्रित न किया जाए तो इसके निचले क्षेत्र के कई गांवों और खेतों में पानी भरने का खतरा रहता है।

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