Noida: देश को झकझोर देने वाले निठारी हत्याकांड से जुड़ा अंतिम अध्याय मंगलवार को समाप्त हो गया। सुप्रीम कोर्ट ने इस बहुचर्चित मामले में आरोपी सुरेंद्र कोली को सभी आरोपों से बरी करते हुए उसकी तुरंत रिहाई का आदेश दे दिया है। यह फैसला कोली द्वारा दायर की गई क्यूरेटिव याचिका पर सुनाया गया, जिसे न्यायालय ने स्वीकार कर लिया।
सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की पीठ ने दिया फैसला
मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने मंगलवार को कोली की याचिका पर सुनवाई करते हुए 2011 और 2014 के सुप्रीम कोर्ट के पुराने आदेशों को रद्द कर दिया। फैसले के दौरान जस्टिस विक्रम नाथ ने आदेश पढ़ते हुए कहा, “सुरेंद्र कोली को सभी आरोपों से बरी किया जाता है। उसकी रिहाई तुरंत सुनिश्चित की जाए।” यह फैसला उस पृष्ठभूमि में आया है, जब कोली पहले ही निठारी हत्याकांड से जुड़े कई मामलों में बरी हो चुका था। अदालत ने माना कि कोली के खिलाफ अब ऐसा कोई सबूत नहीं बचा है, जिसके आधार पर सजा को बरकरार रखा जा सके।
क्यूरेटिव याचिका में रखी गई थी ये दलीलें
कोली की ओर से दाखिल की गई क्यूरेटिव याचिका में कहा गया था कि उसे अन्य सभी मामलों में अदालतें पहले ही निर्दोष ठहरा चुकी हैं। ऐसे में इस आखिरी केस में सजा बरकरार रखना न्यायसंगत नहीं है। कोली के वकीलों ने यह भी दलील दी कि पहले के फैसले परिस्थितिजन्य साक्ष्यों पर आधारित थे और नए तथ्यों की रोशनी में उसकी निर्दोषता स्पष्ट हो चुकी है।
कोर्ट ने पलटे दो पुराने आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने अपने 15 फरवरी 2011 के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें कोली की सजा को बरकरार रखा गया था। इसके अलावा 28 अक्टूबर 2014 के पुनर्विचार याचिका खारिज करने वाले आदेश को भी निरस्त कर दिया गया। इन दोनों आदेशों के रद्द होने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कोली को न केवल बरी किया बल्कि उसकी तत्काल रिहाई का भी निर्देश दिया।
देश को हिला देने वाला निठारी कांड
साल 2006 में जब नोएडा के निठारी गांव में स्थित व्यापारी मोनिंदर सिंह पंधेर के घर के पास एक नाले से बच्चों और युवतियों के कंकाल मिले, तो पूरे देश में सनसनी फैल गई। जांच में पाया गया कि घर का मालिक पंधेर था और उसका नौकर सुरेंद्र कोली इन जघन्य हत्याओं में शामिल था। कोली पर रेप, हत्या और नरभक्षण तक के आरोप लगे थे। इन वारदातों के बाद पुलिस और सीबीआई की जांच में कोली पर 16 मामलों में मौत की सजा सुनाई गई थी।
इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसलों से मिला राहत का रास्ता
जनवरी 2015 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कोली की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया, यह कहते हुए कि उसकी दया याचिका पर फैसला करने में असामान्य देरी हुई थी। इसके बाद अक्टूबर 2023 में हाई कोर्ट ने कोली और सह-आरोपी पंधेर को निठारी कांड के कई अन्य मामलों में बरी कर दिया। अदालत ने ट्रायल कोर्ट के मौत की सजा वाले सभी फैसलों को पलट दिया। कोली को 12 मामलों में और पंधेर को दो मामलों में निर्दोष ठहराया गया।
सीबीआई और पीड़ित परिवारों की अपीलें भी खारिज
सीबीआई और पीड़ित परिवारों ने इन बरी होने वाले फैसलों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। लेकिन 30 जुलाई 2024 को शीर्ष अदालत ने सभी 14 अपीलें खारिज कर दी थीं, जिससे कोली की सजा पर से कानूनी शिकंजा लगभग खत्म हो गया था। अब सुप्रीम कोर्ट के मंगलवार के आदेश के साथ ही कोली पूरी तरह मुक्त हो गया है।

