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हरदोई में मोहर्रम पर गूंजा मातम और मर्सिया, ताजिया जुलूस में उमड़ा अकीदतमंदों का सैलाब

यूपी के हरदोई जनपद में मोहर्रम पर निकला ताजिया जुलूस, मातम और मर्सिया से गूंजे रास्ते, गमगीन माहौल में अकीदतमंदों ने दी शहीदों को श्रद्धांजलि।
Post Published By: सौम्या सिंह
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हरदोई में मोहर्रम पर गूंजा मातम और मर्सिया, ताजिया जुलूस में उमड़ा अकीदतमंदों का सैलाब

Hardoi: जिले में रविवार को मोहर्रम के अवसर पर परंपरागत तरीके से ताजिया जुलूस निकाला गया। शहर के मोमिनाबाद चौराहे से शुरू हुए इस जुलूस ने विभिन्न प्रमुख मार्गों से गुजरते हुए अकीदतमंदों को कर्बला की याद में डुबो दिया। जुलूस रफी अहमद किदवई चौराहा, धर्मशाला रोड, सिनेमा चौराहा और सोल्जर बोर्ड चौराहा होते हुए पिहानी चुंगी तक पहुंचा। अंत में अकीदतमंदों के इमामबाड़े में ताजिए को दफन किया गया।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, जुलूस के दौरान पूरे रास्ते इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हुए अकीदतमंदों ने गमजदा माहौल में सीना ज़नी की, मातम किया और मर्सिये पढ़े। मोमिनाबाद चौराहे पर बड़ी संख्या में अज़ादार एकत्र हुए और इमाम हुसैन व कर्बला के अन्य शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। मर्सिया ख्वानों ने अपने कलामों के ज़रिए लोगों को कर्बला की घटना की संवेदनाओं से रूबरू कराया, जिससे वातावरण पूरी तरह शोकाकुल हो गया।

ताजिया जुलूस में मातम, सीना ज़नी और अमन की दुआएं

इस मौके पर हर उम्र और वर्ग के लोगों की भागीदारी देखने को मिली। बच्चे, युवा, बुजुर्ग और महिलाएं सभी श्रद्धा और ग़म के साथ जुलूस में शामिल हुए। लोगों ने इमाम हुसैन की कुर्बानी को याद करते हुए इंसानियत, न्याय और सत्य की राह पर चलने का संदेश लिया। जुलूस के समापन पर दुआओं के साथ अमन, भाईचारा और देश में शांति के लिए प्रार्थना की गई।

ताजिया जुलूस में मातम

प्रशासन ने जुलूस को लेकर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए थे। जुलूस मार्ग पर भारी पुलिस बल तैनात रहा, और मजिस्ट्रेटों की तैनाती से कानून व्यवस्था बनाए रखने के प्रयास किए गए। CCTV कैमरों से निगरानी की गई और पुलिस लगातार गश्त करती रही ताकि किसी भी प्रकार की अव्यवस्था या गड़बड़ी की आशंका को समय रहते रोका जा सके।

कर्बला की याद में डूबा हरदोई

पूरे कार्यक्रम के दौरान जुलूस शांति और अनुशासन के साथ सम्पन्न हुआ। प्रशासन और आयोजकों के सहयोग से यह धार्मिक आयोजन न सिर्फ कर्बला की शहादत की याद बना, बल्कि समाज को एकता और भाईचारे का संदेश भी देता नजर आया।

मोहर्रम के इस पवित्र मौके पर हरदोई ने एक बार फिर दिखा दिया कि आस्था, अनुशासन और आपसी सद्भावना से किसी भी आयोजन को श्रद्धा और शांति के साथ सम्पन्न किया जा सकता है।

 

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