बृजमनगंज में प्राइवेट अस्पताल की लापरवाही से एक प्रसूता की जान को खतरा हुआ। ब्लीडिंग के बावजूद सही इलाज नहीं मिला। परिवार ने उच्च अधिकारियों से जांच और जिम्मेदारों पर कार्रवाई की मांग की है।

घटना की जानकारी देता पीड़ित परिवार का सदस्य
Maharajganj: बृजमनगंज थाना क्षेत्र में प्राइवेट अस्पताल की गंभीर लापरवाही सामने आई है, जिसने एक युवती की जान को जोखिम में डाल दिया। ग्राम सभा नैनसर टोला, रमजानपुर की निवासी पूजा गुप्ता को 17 सितंबर को प्रसव पीड़ा हुई। परिजनों ने उन्हें सबसे पहले बनकटी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया। लेकिन वहां के आरोप है कि उसी गांव की आशा कार्यकर्ता जयंती देवी, जो जीवन ज्योति हॉस्पिटल, बृजमनगंज से जुड़ी हुई हैं, ने प्रसूता और परिवार को बहला-फुसलाकर प्राइवेट अस्पताल में भर्ती करवा दिया।
पूजा के पति अवतार गुप्ता ने बताया कि अस्पताल के डॉक्टर दीपक जायसवाल ने सादे कागज पर हस्ताक्षर करवा कर उनका ऑपरेशन कर दिया। छह दिन अस्पताल में रहने के बाद जब उन्हें डिस्चार्ज किया गया, तो पूजा ने लगातार ब्लीडिंग की शिकायत की। डॉक्टर ने केवल दवा लिखकर स्थिति को टाल दिया और कहा कि सब ठीक हो जाएगा। घर लौटने पर ब्लीडिंग नहीं रुकने पर परिवार ने उन्हें फिर उसी अस्पताल ले जाने की कोशिश की, लेकिन वहां के डॉक्टर और स्टाफ ने अभद्र व्यवहार किया और उन्हें भगा दिया।
परिवार ने परेशान होकर पूजा को पहले सिद्धार्थनगर के अस्पताल में प्राथमिक उपचार के लिए ले जाया। वहां डॉक्टरों ने उच्च स्तर के अस्पताल में रेफर किया। अंततः पूजा को गोरखपुर के अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां जांच के बाद स्पष्ट हुआ कि जीवन ज्योति हॉस्पिटल में ऑपरेशन के दौरान गंभीर लापरवाही बरती गई थी। डॉक्टरों ने कहा कि यदि तत्काल इलाज नहीं किया जाता, तो स्थिति और गंभीर हो सकती थी।
पीड़ित परिवार ने जीवन ज्योति हॉस्पिटल के खिलाफ उच्च अधिकारियों को शिकायती पत्र दिया। अस्पताल संचालक दीपक जायसवाल ने शुरू में इलाज का खर्च वहन करने का आश्वासन दिया, लेकिन बाद में परिवार को धमकाकर और दबाव डालकर भगा दिया। अब अवतार गुप्ता ने अस्पताल के खिलाफ उचित जांच, जिम्मेदारों पर कार्रवाई और मुआवजे की मांग की है।
यह मामला ग्रामीण क्षेत्रों में प्राइवेट अस्पतालों की बढ़ती लापरवाही है। गरीब परिवार अक्सर अपनी मजबूरी और स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों के कारण ऐसे अस्पतालों पर निर्भर होते हैं, जहां उनका शोषण किया जाता है। लोगों का कहना है कि इस तरह के मामलों से ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवा की गुणवत्ता और निगरानी पर गंभीर सवाल उठते हैं।