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महराजगंज: गंगा दशहरा और पर्यावरण दिवस पर भव्य गंगा आरती, वृक्षारोपण कर दिया गया संरक्षण का संदेश

गंगा दशहरा के अवसर पर गंगा आरती का आयोजन किया गया। जानिए डाइनामाइट न्यूज पर पूरी खबर
Post Published By: Poonam Rajput
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महराजगंज: गंगा दशहरा और पर्यावरण दिवस पर भव्य गंगा आरती, वृक्षारोपण कर दिया गया संरक्षण का संदेश

महराजगंज: गंगा दशहरा और अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस के पावन अवसर पर महराजगंज जिले के त्रिमुहानी घाट स्थित रोहिणी नदी के तट पर भव्य गंगा आरती का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम न केवल धार्मिक श्रद्धा का प्रतीक रहा, बल्कि इसमें पर्यावरण संरक्षण और जल स्रोतों की सुरक्षा का स्पष्ट संदेश भी दिया गया।

पूजा-अर्चना कर जनकल्याण की कामना

कार्यक्रम की शुरुआत जिले के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा वृक्षारोपण से हुई। DPRO श्रेया मिश्रा,  जिलाधिकारी संतोष कुमार शर्मा, मुख्य विकास अधिकारी अनुराज जैन, वन प्रभागीय अधिकारी (DFO) निरंजन सुर्वे राजेंद्र, और भाजपा जिलाध्यक्ष  संजय पांडेय ने संयुक्त रूप से पौधरोपण कर लोगों से पर्यावरण बचाने का आग्रह किया। इसके बाद सभी अतिथियों ने विधिवत रूप से रोहिणी नदी की पूजा-अर्चना कर जनकल्याण की कामना की।

माहौल भक्तिभाव से सराबोर

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार कार्यक्रम में उपस्थित लोगों ने मां गंगा के स्वरूप में रोहिणी नदी की आरती की। इस आरती में तीन आचार्यों द्वारा मंत्रोच्चार के साथ वैदिक विधि से पूजा संपन्न कराई गई। नदी किनारे दीपों से रंगोली सजाई गई थी, जिसने वातावरण को अत्यंत आध्यात्मिक और भव्य बना दिया। आयोजन के दौरान भजन और कीर्तन भी प्रस्तुत किए गए, जिससे माहौल भक्तिभाव से सराबोर हो गया।

गंगा आरती

डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार यह आयोजन जिलाधिकारी के निर्देश पर किया गया, ताकि आमजन में पर्यावरण, नदियों और अन्य जलस्रोतों के प्रति जागरूकता फैलाई जा सके। उन्होंने कहा कि गंगा दशहरा और पर्यावरण दिवस का यह मेल लोगों को संस्कृति और प्रकृति दोनों के संरक्षण की प्रेरणा देता है।

बड़ी संख्या में आमजन रहे उपस्थित 

इस अवसर पर पीडी रामदरश चौधरी, डीआईओएस पी.के. शर्मा, जिला दिव्यांगजन सशक्तिकरण अधिकारी शांत प्रकाश श्रीवास्तव, समेत कई अन्य जनपद स्तरीय अधिकारी और बड़ी संख्या में आमजन उपस्थित रहे। कार्यक्रम के अंत में सभी को प्रसाद वितरण किया गया।

यह आयोजन न केवल एक धार्मिक उत्सव था, बल्कि एक सामाजिक और पर्यावरणीय संदेश भी था कि नदियों की पूजा तभी सार्थक होगी जब हम उनके संरक्षण के लिए भी संकल्प लें।

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