UP Bribery Case: लखनऊ CBI कोर्ट ने यूनिवर्सिटी के रिश्वतखोर ऑफिस असिस्टेंट को सुनाई ये सजा

लखनऊ में CBI की विशेष अदालत ने भ्रष्टाचार के एक पुराने मामले में BBAU के UIET से जुड़े ऑफिस असिस्टेंट विजय कुमार द्विवेदी को घूसखोरी का दोषी पाते हुए कड़ी सजा सुनाई है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट

Post Published By: Poonam Rajput
Updated : 10 December 2025, 1:49 PM IST

Lucknow: लखनऊ में CBI की विशेष अदालत में भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के एक पुराने मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। मामला UIET के संबंद्ध Babasaheb Bhim Rao Ambedkar University (BBAU) से जुड़ा है, जहां के एक ऑफिस असिस्टेंट विजय कुमार द्विवेदी को घूसखोरी के मामले में अदालत ने आठ साल बाद चार साल की जेल की सजा सुनाई है। इस कर्मचारी को कोर्ट ने दोषी करार दे दिया और अर्थदंड भी लगाया।

50 हजार रुपये की रिश्वत

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के यह मामला साल 2017 का है। उस वक्त UIET (University Institute of Engineering & Technology) में अनुबंधित असिस्टेंट प्रोफेसर ने CBI से शिकायत की थी कि ऑफिस असिस्टेंट विजय कुमार द्विवेदी उनक अनुबंध बढ़ाने के नाम पर 50 हजार रुपये की रिश्वत मांग रहा है। शिकायतकर्ता ने बताया था कि वह विभाग के निदेशक के नाम पर यह दावा कर रहा था कि पैसे देने पर उनका कॉन्ट्रैक्ट बिना परेशानी आगे बढ़ जाएगा।

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CBI की टीम ने मारा छापा

शिकायत मिलते ही CBI ने तुरंत ट्रैप कार्रवाई की तैयारी शुरू कर दी। टीम ने पूरी योजना गोपनीय तरीके से बनाई ताकि आरोपी को बिल्कुल भी भनक न लगे। ट्रैप के दिन शिकायतकर्ता तय की गई रकम लेकर आरोपी से मिलने पहुंचा। CBI की टीम दूर से सारी गतिविधियों पर नजर रख रही थी। CBI की टीम वहां पहुंची और उसे रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया। मौके से बरामद राशि, हाथ धोने का टेस्ट, बातचीत के रिकॉर्ड और गवाह ये सभी सबूत केस को मजबूती देने के लिए पर्याप्त थे।

CBI ने की जांच

गिरफ्तारी के बाद CBI ने पूरे मामले की गहराई से जांच की। विभाग से जुड़े दस्तावेज, आरोपी के व्यवहार का रिकॉर्ड, शिकायतकर्ता का बयान और ट्रैप की पूरी प्रक्रिया को केस फाइल में जोड़ा गया। जांच पूरी करने के बाद CBI ने अगस्त 2017 को इस मामले में चार्जशीट दाखिल कर दी। चार्जशीट में साफ लिखा था कि आरोपी ने अपने अधिकारों का गलत इस्तेमाल करते हुए एक असिस्टेंट प्रोफेसर से रिश्वत की मांग की और रिश्वत लेते भी पकड़ा गया।

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सबूतों में किसी तरह का संदेह नहीं : कोर्ट

ट्रायल की प्रक्रिया लंबी चली। कई तारीखें, कई गवाह और सबूतों की बारीकी से जांच के बीच केस लगभग आठ साल तक कोर्ट में चलता रहा। CBI कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सबूतों में किसी तरह का संदेह नहीं है। आरोपी न सिर्फ रिश्वत मांग रहा था, बल्कि पैसे लेते समय रंगे हाथ पकड़ा भी गया था। कोर्ट ने इसे संस्थागत भ्रष्टाचार का गंभीर मामला मानते हुए उसे चार साल की कैद और 30 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई।

Location : 
  • Lucknow

Published : 
  • 10 December 2025, 1:49 PM IST