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क्या अखिलेश-तेजस्वी की जोड़ी 2027 में UP में बदल सकती है सत्ता का समीकरण?

अखिलेश यादव इन दिनों बिहार चुनाव में तेजस्वी यादव के समर्थन में प्रचार कर रहे हैं। सपा नेताओं का कहना है कि यह कदम उत्तर भारत में सामाजिक न्याय की नई साझेदारी का संकेत है, जो 2027 में यूपी की राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकता है।
Post Published By: Subhash Raturi
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क्या अखिलेश-तेजस्वी की जोड़ी 2027 में UP में बदल सकती है सत्ता का समीकरण?

Lucknow: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव इन दिनों पूरी तरह से बिहार विधानसभा चुनाव प्रचार में सक्रिय हैं। लखनऊ स्थित सपा मुख्यालय, जो आमतौर पर कार्यकर्ताओं की चहल-पहल से गुलजार रहता है, इन दिनों कुछ शांत नजर आ रहा है। इसका मुख्य कारण यह है कि अखिलेश यादव लगातार बिहार में महागठबंधन के नेता तेजस्वी यादव के समर्थन में रैलियां कर रहे हैं।

जब सपा मुख्यालय में मौजूद कुछ नेताओं से इस सन्नाटे को लेकर बात की गई तो समाजवादी शिक्षक सभा के राष्ट्रीय सचिव इंद्रसेन शास्त्री ने कहा कि सपा बिहार में चुनाव नहीं लड़ रही है। हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने तेजस्वी यादव को बिना शर्त समर्थन देने का ऐलान किया है।

उन्होंने कहा कि समाजवादी विचारधारा सिर्फ उत्तर प्रदेश तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे देश को वैकल्पिक राजनीति की दिशा दिखा रही है। शास्त्री ने कहा, “अखिलेश यादव का बिहार जाना केवल राजनीतिक औपचारिकता नहीं, बल्कि उत्तर भारत में सामाजिक न्याय की एक नई साझेदारी का संकेत है।”

अखिलेश-तेजस्वी की जोड़ी यूपी चुनाव की बदलेगी तस्वीर (Img Source: Internet)

खेसारी के लिए अखिलेश ने किया प्रचार

छपरा में अखिलेश यादव की भोजपुरी स्टार खेसारी लाल यादव के साथ मंच साझा करने की तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रही हैं। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए इंद्रसेन शास्त्री ने कहा, खेसारी लाल एक अच्छे इंसान और लोकप्रिय कलाकार हैं। निश्चित रूप से वे भारी मतों से चुनाव जीतेंगे। उनके जैसे लोगों का राजनीति में आना सौभाग्य की बात है, क्योंकि वे आम जनता से सीधे जुड़े हैं।

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वायरल हुई अखिलेश और केशव प्रसाद मौर्य की तस्वीर

इसी बीच, सोशल मीडिया पर एक फोटो तेजी से वायरल हो रही है जिसमें यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और अखिलेश यादव को पटना एयरपोर्ट पर एक साथ बातचीत करते हुए देखा गया। इस फोटो पर टिप्पणी करते हुए शास्त्री ने कहा, “अखिलेश यादव ने हमेशा PDA (पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक वर्ग) को साथ लेकर चलने का काम किया है। केशव प्रसाद मौर्य को भाजपा में जितना सम्मान मिलना चाहिए था, वह नहीं मिला। यह बात सभी जानते हैं कि उनमें खास बात है और यही वजह है कि भाजपा के भीतर भी उनके प्रति सहानुभूति है।”

सोशल मीडिया पर वायरल हुई अखिलेश- केशव प्रसाद मौर्या की तस्वीर (Image Source: Internet)

क्या बिहार में अखिलेश का प्रचार एक रणनीति है?

सूत्रों का मानना है कि अखिलेश यादव का बिहार में सक्रिय होना महज समर्थन की राजनीति नहीं, बल्कि 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव के लिए एक रणनीतिक कदम है। वे बिहार में महागठबंधन के साथ मिलकर सामाजिक समीकरणों को मजबूत करने की कोशिश में हैं ताकि आने वाले वर्षों में उत्तर प्रदेश में भी सत्ता परिवर्तन का माहौल तैयार किया जा सके।

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, अगर बिहार में महागठबंधन को सफलता मिलती है तो इसका सीधा असर उत्तर प्रदेश की राजनीति पर भी पड़ेगा। तेजस्वी यादव और अखिलेश यादव का यह गठजोड़ भविष्य में उत्तर भारत की राजनीति का नया चेहरा बन सकता है।

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