Gorakhpur: शहर की ऐतिहासिक धरोहर को नया रूप देने वाली विरासत गलियारा परियोजना को लेकर बुधवार को मंडलायुक्त सभागार में उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक आयोजित हुई। बैठक की अध्यक्षता मंडलायुक्त अनिल ढींगरा ने की। इस दौरान विधायक गोरखपुर ग्रामीण विपिन सिंह, जिलाधिकारी दीपक मीणा, नगर विकास से जुड़े अधिकारी, व्यापारी संगठनों के पदाधिकारी, मकान मालिक और दुकानदार बड़ी संख्या में मौजूद रहे।
बैठक में धर्मशाला बाजार से पाण्डेय हाता तक प्रस्तावित गलियारे के निर्माण, प्रभावित भवनों के मुआवजे, बैनामा प्रक्रिया तथा स्वामित्व विवादों पर विस्तृत चर्चा हुई। मंडलायुक्त ने स्पष्ट कहा कि यह परियोजना शासन की प्राथमिकता में है और इसे लोक निर्माण विभाग खंड-द्वितीय के माध्यम से निर्धारित समय सीमा में पूरा किया जाना है। फिलहाल सड़क चौड़ीकरण, नाला निर्माण सहित मूलभूत ढांचा कार्य तेज गति से चल रहा है।
प्रस्तावित गलियारा घण्टाघर, उर्दू बाजार, शाह मारूफ, रेती चौक और नखास चौक जैसे शहर के ऐतिहासिक इलाकों से होकर गुजरेगा। सड़क विस्तार के दौरान आने वाली दुकानों और पुराने भवनों को नए डिजाइन के अनुपात में तोड़ा और पुनर्व्यवस्थित किया जाएगा। प्रभावितों से सहमति और बैनामा की प्रक्रिया भी लगातार जारी है।
हालांकि बैठक में उपस्थित कई दुकानदारों और मकान मालिकों ने मुआवजा राशि को लेकर असहमति जताई। उनका कहना था कि वास्तविक बाजार मूल्य के अनुरूप क्षतिपूर्ति सुनिश्चित की जाए। साथ ही कई स्थानों पर भवनों के ऊपरी और निचले हिस्सों के स्वामित्व अलग-अलग होने की स्थिति में मुआवजा वितरण में दिक्कतें सामने आ रही हैं।
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इस पर जिलाधिकारी दीपक मीणा ने बताया कि दो या अधिक स्वामियों वाले भवनों में दोनों पक्षों की सहमति से मुआवजा आधा-आधा बांटने का विकल्प तय किया जा रहा है। कई प्रभावित लोग इसे स्वीकार भी कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “प्रशासन की प्राथमिकता है कि किसी के साथ अन्याय न हो और प्रत्येक व्यक्ति को उचित तथा संतोषजनक क्षतिपूर्ति मिले।”
विधायक विपिन सिंह ने इसे शहर के विकास की दिशा में ऐतिहासिक और भविष्यगत सोच वाली परियोजना बताते हुए कहा कि प्रशासन पारदर्शिता बनाए रखे और प्रभावित परिवारों की समस्याओं को संवेदनशीलता से सुने। उन्होंने कहा कि विरासत गलियारे के निर्माण से गोरखपुर पर्यटन, व्यापार और सांस्कृतिक पहचान के रूप में नई ऊंचाइयों पर पहुंचेगा।
बैठक में बताया गया कि परियोजना क्षेत्र की 1666 संपत्तियों में से 1300 से अधिक का बैनामा पूरा हो चुका है। शेष संपत्तियों पर तेजी से प्रक्रिया आगे बढ़ रही है। अंत में मंडलायुक्त ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि “हर प्रभावित व्यक्ति को समाधान मिले और किसी भी स्तर पर पारदर्शिता से समझौता न किया जाए।”

