गोरखपुर: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर मण्डलायुक्त अनिल ढींगरा ने शुक्रवार को मानीराम क्षेत्र के पास ताल जहदा गांव में 157 करोड़ रुपये की लागत से बन रहे 02वीं वाहिनी विशेष सुरक्षा बल (UPSSF) के अनावासीय भवनों के निर्माण कार्य का स्थलीय निरीक्षण किया। यह परियोजना गोरखपुर ही नहीं, पूरे पूर्वांचल के लिए बेहद अहम मानी जा रही है।
क्या है पूरा मामला
जानकारी के मुताबिक, निरीक्षण के दौरान मंडलायुक्त ने निर्माणाधीन भवनों की गुणवत्ता, प्रगति और कार्य की समयबद्धता पर विशेष जोर दिया। उन्होंने कार्यदायी संस्था के अधिकारियों से विस्तृत जानकारी ली और मौके पर मौजूद इंजीनियरों को निर्देशित किया कि निर्माण कार्य में किसी भी प्रकार की ढिलाई नहीं होनी चाहिए।
अड़चनों का समाधान मौके पर…
विशेष सुरक्षा बल परिसर को गोरखपुर-सोनौली रोड से जोड़ने के लिए प्रस्तावित सर्विस रोड और पास में ओमेक्स ग्रुप द्वारा विकसित की जा रही टाउनशिप से जुड़े सीमा विवाद का भी उन्होंने गहन अध्ययन किया। मंडलायुक्त ने लोक निर्माण विभाग (भवन खंड), सीडी-3, एनएचएआई के परियोजना प्रबंधक और ओमेक्स प्रतिनिधियों के साथ विस्तृत विचार-विमर्श करते हुए सभी अड़चनों का समाधान मौके पर ही कराया।
स्तर पर लापरवाही स्वीकार्य नहीं..
उन्होंने चकबंदी विभाग के एसओसी और अभियंताओं को स्पष्ट निर्देश दिए कि ओमेक्स टाउनशिप के कारण उत्पन्न हो रहे गतिरोधों को तत्काल समाप्त करें और आपसी समन्वय से सर्विस रोड का कार्य शीघ्र गति से शुरू कराएं। मंडलायुक्त ने कहा कि विशेष सुरक्षा बल की इस परियोजना से जुड़े कार्यों में किसी भी स्तर पर लापरवाही स्वीकार्य नहीं होगी। निरीक्षण के दौरान ललित पाल, परियोजना प्रबंधक (एनएचएआई), अरविंद कुमार, अधीक्षण अभियंता (निर्माण खंड-3, लोक निर्माण विभाग) समेत अन्य विभागीय अधिकारी मौजूद रहे।
समस्या का समाधान
मंडलायुक्त ने अधिकारियों को सख्त चेतावनी दी कि परियोजना से जुड़ी किसी भी समस्या का समाधान जल्द से जल्द किया जाए। उन्होंने कहा कि 157 करोड़ की यह परियोजना पूर्वांचल में सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने वाली है, इसलिए इसे हर हाल में गुणवत्ता और समयसीमा के साथ पूरा किया जाए।
गोरखपुर में विशेष सुरक्षा बल की दूसरी वाहिनी के गठन से न केवल जिले बल्कि पूरे क्षेत्र की कानून-व्यवस्था और सुरक्षा तंत्र को एक नई मजबूती मिलने वाली है। मंडलायुक्त का यह निरीक्षण इस परियोजना को गति देने और प्रशासनिक समन्वय को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।