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फतेहपुर में अवैध मिट्टी खनन और पेड़ काटने का गैरकानूनी धंधा, पुलिस और अधिकारियों की मिलीभगत पर सवाल

फतेहपुर जिले में इन दिनों अवैध मिट्टी खनन और हरे-भरे फलदार पेड़ों की कटाई का गैरकानूनी धंधा खुलेआम फलफूल रहा है।
Post Published By: Poonam Rajput
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फतेहपुर में अवैध मिट्टी खनन और पेड़ काटने का गैरकानूनी धंधा, पुलिस और अधिकारियों की मिलीभगत पर सवाल

फतेहपुर: जिले के असोथर थाना क्षेत्र में इन दिनों अवैध मिट्टी खनन और फलदार पेड़ों की कटाई का गैरकानूनी धंधा खुलेआम चल रहा है। सूत्रों के अनुसार, यह अवैध गतिविधियां एक संगठित नेटवर्क के तहत की जा रही हैं, जिसमें पुलिस, खनन विभाग और वन विभाग के कुछ अधिकारी भी संलिप्त हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि इस धंधे में स्थानीय पुलिसकर्मी, विशेषकर थाने के दो चर्चित कांस्टेबल — वर्मा और शर्मा — प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। इनकी मदद से यह रैकेट पूरी तरह से संचालित हो रहा है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक, वर्मा और शर्मा की जोड़ी हर महीने 3 से 4 हजार रुपये स्थानीय ट्रैक्टर मालिकों और चालकों से वसूलती है, जिनका उपयोग मिट्टी खनन और पेड़ काटने के लिए किया जाता है। इन पैसों को “एंट्री” के नाम पर वसूल किया जाता है, जो इस गोरखधंधे को और भी मजबूत करता है।

स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि इस अवैध खनन और पेड़ कटाई के कारण क्षेत्र का पर्यावरण गंभीर रूप से प्रभावित हो रहा है। हरे-भरे फलदार पेड़, जैसे आम, अमरूद और नींबू के कई पेड़ अब तक काटे जा चुके हैं, जिससे न केवल पर्यावरणीय संतुलन बिगड़ रहा है, बल्कि क्षेत्र की कृषि उर्वरता भी घट रही है। यह धंधा भूमि की उर्वरता को नष्ट करने और सतत विकास को प्रभावित करने का कारण बन रहा है।

इस मामले पर जब खनन विभाग और वन विभाग से संपर्क किया गया, तो उन्होंने कोई ठोस जवाब नहीं दिया और इस मुद्दे पर चुप्पी साधे रखी। दूसरी ओर, स्थानीय पुलिस ने भी कोई कार्रवाई नहीं की और “ऊपरी आदेश” का हवाला देकर अपने कर्तव्यों से मुंह मोड़ लिया।

ग्रामीणों में इस लापरवाही को लेकर गहरा आक्रोश व्याप्त है। उन्होंने आरोप लगाया है कि पुलिस और विभागीय अधिकारी इस अवैध गतिविधि को बढ़ावा दे रहे हैं, जिससे उनकी ज़िंदगी और पर्यावरण दोनों खतरे में पड़ गए हैं। ग्रामीणों ने मांग की है कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की जाए और जिम्मेदार अधिकारियों और पुलिसकर्मियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए। अगर यह स्थिति नहीं सुधरी तो ग्रामीण सड़क पर उतरने की धमकी दे रहे हैं।

इस मामले में जल्द कार्रवाई न होने पर यह और भी गंभीर मोड़ ले सकता है, जिससे न सिर्फ कृषि और पर्यावरण बल्कि स्थानीय निवासियों का जीवन भी प्रभावित हो सकता है।

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