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सिंचाई विभाग के पद समाप्त करने के आदेश से कर्मचारियों में उबाल, जबरदस्त विरोध प्रदर्शन

पद समाप्ति के विरोध में सिंचाई विभाग के कर्मचारियों में जिम्मेदारों के खिलाफ भयंकर विरोध प्रदर्शन किया है। जानिए डाइनामाइट न्यूज पर पूरी खबर
Post Published By: Rohit Goyal
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सिंचाई विभाग के पद समाप्त करने के आदेश से कर्मचारियों में उबाल, जबरदस्त विरोध प्रदर्शन

महराजगंज: उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जारी शासनादेश में सिंचाई विभाग के कई महत्वपूर्ण पदों को समाप्त किए जाने के बाद विभागीय कर्मचारियों में भारी असंतोष फैल गया है। शासनादेश के अनुसार उपराजस्व अधिकारी, जिलेदार, मुंशी, हेड मुंशी, सीचपाल, राधा नलकूप बालक, मिस्त्री कम ड्राइवर जैसे रीढ़ माने जाने वाले पदों को अनुपयोगी करार देते हुए समाप्त कर दिया गया है। इस निर्णय के विरोध में सिंचाई विभाग के समस्त मान्यता प्राप्त संगठनों की एक आपात बैठक आयोजित की गई, जिसमें सर्वसम्मति से “सिंचाई विभाग संयुक्त कर्मचारी संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश” का गठन किया गया।

डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार समिति के नेतृत्व में प्रदेशभर में काला फीता बांधकर विरोध प्रदर्शन की शुरुआत की गई है। कर्मचारी संगठनों का कहना है कि यह निर्णय न केवल गैर जिम्मेदाराना है, बल्कि इससे विभागीय कार्यों और ग्रामीण क्षेत्रों में सिंचाई व्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

कर्मचारी नेताओं ने स्पष्ट किया कि यह पद विभागीय कार्यों के संचालन में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये कार्मिक नहरों, लघु नहरों और राजकीय नलकूपों के संचालन, रख-रखाव और सुरक्षा कार्यों में संलग्न रहते हैं तथा किसानों को ग्राम स्तर पर समय पर सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने में मदद करते हैं।

उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि शासन द्वारा जल्द ही उक्त आदेश को वापस नहीं लिया गया, तो कर्मचारी मजबूर होकर चरणबद्ध आंदोलन, कार्य बहिष्कार और धरना प्रदर्शन जैसे कदम उठाने को बाध्य होंगे।

कर्मचारी संघों ने यह भी मांग की है कि भविष्य में इस प्रकार के निर्णय लेने से पहले विभागीय संगठनों से संवाद किया जाए और व्यावहारिक पहलुओं पर गंभीरता से विचार किया जाए।

डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार हालांकि अब तक शासन की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन कर्मचारियों में लगातार बढ़ रहा असंतोष एक बड़े आंदोलन की ओर इशारा कर रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह मुद्दा शीघ्र नहीं सुलझाया गया, तो इसका सीधा असर प्रदेश की कृषि व्यवस्था और किसानों पर पड़ेगा।

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