Site icon Hindi Dynamite News

Diwali 2025: दिवाली पर निभाई जाती है गोरखपुर में ये अनोखी रश्म, जानें पूरी कहानी

दीपावली के शुभ अवसर पर जहां एक ओर घर-घर में मिठाइयों और पकवानों की खुशबू फैली हुई थी, वहीं खजनी क्षेत्र के बाजारों में इस बार सुरन (ओल) की जबरदस्त मांग देखने को मिली। स्थानीय सब्जी मंडियों में सूरन की कीमत ₹80 से ₹100 किलो तक पहुंच गई, फिर भी खरीदारों की भीड़ लगातार लगी रही।
Post Published By: Poonam Rajput
Published:
Diwali 2025: दिवाली पर निभाई जाती है गोरखपुर में ये अनोखी रश्म, जानें पूरी कहानी

Gorakhpur: दीपावली के शुभ अवसर पर जहां एक ओर घर-घर में मिठाइयों और पकवानों की खुशबू फैली हुई थी, वहीं खजनी क्षेत्र के बाजारों में इस बार सुरन (ओल) की जबरदस्त मांग देखने को मिली। स्थानीय सब्जी मंडियों में सूरन की कीमत ₹80 से ₹100 किलो तक पहुंच गई, फिर भी खरीदारों की भीड़ लगातार लगी रही।

पहले के समय में जब सब्जियों का विकल्प सीमित हुआ करता था, तब त्यौहारों के दिन मसालेदार सब्जियां विशेष रूप से बनाई जाती थीं। दीपावली पर सुरन की सब्जी उसी परंपरा का अहम हिस्सा रही है। बुजुर्गों का कहना है कि “सुरन सिर्फ स्वाद के लिए नहीं, बल्कि शरीर को रोगों से बचाने के लिए भी अनिवार्य माना जाता है।”

गोरखपुर: नारी सशक्तिकरण और सुरक्षा का पहल, इस अभियान से बेटियों में बढ़ा आत्मविश्वास

दरअसल, सुरन को देशभर में कई नामों से जाना जाता है कहीं इसे जिमीकंद, तो कहीं ओल या कांद कहा जाता है। इसकी खासियत यह है कि यह लंबे समय तक खराब नहीं होता और इसमें पौष्टिक तत्वों की भरपूर मात्रा पाई जाती है।

वैज्ञानिक दृष्टि से भी लाभकारी

आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान दोनों ही मानते हैं कि सुरन में फॉस्फोरस की मात्रा अधिक होती है, जो शरीर के लिए अत्यंत आवश्यक तत्व है। चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार यदि दीपावली के दिन देशी सुरन की सब्जी खाई जाए, तो शरीर में महीनों तक फॉस्फोरस की कमी नहीं होती। इसके अलावा इसमें फाइबर, विटामिन C, विटामिन B6, फोलिक एसिड, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम और कैल्शियम प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।

गोरखपुर में तहसील समाधान दिवस पर DM-SSP ने सुनी फरियादियों की समस्याएं, 16 का मौके पर निस्तारण

रोगों से बचाने वाली सब्जी

सुरन का सेवन बवासीर, कैंसर, पाचन संबंधी समस्याओं और रक्तचाप असंतुलन जैसी गंभीर बीमारियों से बचाव में सहायक माना जाता है। यही कारण है कि दीपावली जैसे बड़े पर्व पर इसका सेवन शुभ और स्वास्थ्यवर्धक दोनों समझा जाता है।

लोक परंपरा में छिपा विज्ञान

हमारे पूर्वजों ने हर रीति-रिवाज और भोजन परंपरा में विज्ञान को पिरोया था। दीपावली पर सुरन खाने की परंपरा भी उन्हीं की देन है, जिससे न केवल शरीर को शक्ति मिलती है, बल्कि त्योहार का आनंद भी बढ़ जाता है। आज डॉक्टर भी इस पौष्टिक सब्जी के सेवन की सलाह देते हैं।

Uttar Pradesh: गोरखपुर में बस-ट्रक की भीषण टक्कर, चार लोग घायल

संक्षेप में कहा जाए तो 

दीपावली पर सुरन की सब्जी केवल परंपरा नहीं, बल्कि स्वास्थ्य का त्योहार भी है। हमारे पूर्वजों की दूरदृष्टि ने स्वाद के साथ स्वास्थ्य का ऐसा संगम बनाया, जो आज भी हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा है

Exit mobile version