Prayagraj: उत्तर प्रदेश की राजनीति से जुड़ी एक अहम खबर सामने आई है। बाहुबली नेता मुख्तार अंसारी के बेटे और पूर्व विधायक अब्बास अंसारी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने हेट स्पीच मामले में मिली दो साल की सजा पर अंतरिम रोक लगा दी है, जिससे अब मऊ सदर विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव की संभावनाएं भी समाप्त हो गई हैं।
क्या है कोर्ट का आदेश?
यह आदेश न्यायमूर्ति समीर जैन ने अब्बास अंसारी की पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। वरिष्ठ अधिवक्ता सीएरा मिश्र और अधिवक्ता उपेंद्र उपाध्याय ने अंसारी की ओर से पक्ष रखा, वहीं राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी और एजीए संजय सिंह ने जवाब प्रस्तुत किया।
किस मामले में सुनाया गया फैसला?
2022 के विधानसभा चुनाव के बाद अब्बास अंसारी ने एक मंच से भाषण में राज्य सरकार के अधिकारियों को परिणाम भुगतने की धमकी दी थी। इस पर उनके खिलाफ मामला दर्ज हुआ और ट्रायल के बाद मऊ की स्पेशल एमपी-एमएलए कोर्ट ने उन्हें IPC की धाराओं 153-A, 189, 506 और 171-F के तहत अलग-अलग सजा सुनाई।
धारा 153-A, 189: 2-2 साल की सजा
धारा 506: 1 साल
धारा 171-F: 6 महीने
2000 रुपये जुर्माना
सभी सजाएं साथ-साथ चलने का आदेश दिया गया था।
पुनरीक्षण के लिए याचिका
गौरतलब है कि अब्बास अंसारी ने इस फैसले के खिलाफ स्पेशल अपर सत्र न्यायाधीश, मऊ के समक्ष अपील की थी, जो अभी लंबित है। साथ ही उन्होंने सजा पर रोक लगाने के लिए प्रार्थना पत्र भी दिया था, जिसे 5 जुलाई को खारिज कर दिया गया था। इसके खिलाफ उन्होंने पुनरीक्षण याचिका दाखिल की, जिसे हाईकोर्ट ने स्वीकार कर सजा पर स्थगनादेश जारी किया।
मऊ उपचुनाव पर लगी रोक
बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद स्पष्ट है कि अब मऊ विधानसभा क्षेत्र, जहां से अंसारी विधायक थे, वहां उपचुनाव नहीं कराया जाएगा। निर्वाचन आयोग ने पहले ही उपचुनाव की तैयारियां शुरू कर दी थीं क्योंकि 1 जून 2025 को सजा के चलते उनकी विधानसभा सदस्यता स्वतः समाप्त हो गई थी।
अन्य दोषी की सजा
घटना के समय मंच पर मौजूद अब्बास अंसारी के चुनाव एजेंट गंसूर अंसारी को भी दोषी ठहराते हुए 6 महीने की कैद सुनाई गई थी।