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एंड्रॉयड फोन पर कैसे चालू करें भूकंप अलर्ट? जानिए इसकी प्रक्रिया और जरूरत

टेक्नोलॉजी इतनी आगे बढ़ गई है कि एंड्रॉयड में अब भूकंप अलर्ट सिस्टम आ गया है। यह भूकंप के कंपन को महसूस कर समय रहते चेतावनी देता है, जिससे जान-माल की सुरक्षा संभव हो सके। अपने फोन में यह सिस्टम ऑन करने के लिए पढ़ें पूरी खबर
Post Published By: Tanya Chand
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एंड्रॉयड फोन पर कैसे चालू करें भूकंप अलर्ट? जानिए इसकी प्रक्रिया और जरूरत

New Delhi: भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाएं अचानक आती हैं और कई बार भारी जान-माल की हानि का कारण बनती हैं। ऐसे में अगर पहले से ही किसी प्रकार की चेतावनी मिल जाए, तो इससे जान बचाना और सतर्क रहना संभव हो सकता है। एंड्रॉयड स्मार्टफोन्स में मौजूद भूकंप अलर्ट सिस्टम इसी उद्देश्य से तैयार किया गया है, जो समय रहते यूज़र्स को संभावित भूकंप की जानकारी देता है।

एंड्रॉयड में भूकंप अलर्ट फीचर क्या है?
Google ने एंड्रॉयड यूज़र्स के लिए एक खास ‘Earthquake Alert System’ तैयार किया है। यह फीचर दुनिया के कई हिस्सों में पहले से काम कर रहा है और भारत में भी इसे धीरे-धीरे लागू किया जा रहा है। यह सिस्टम फोन के एक्सेलेरोमीटर (accelerometer) की मदद से धरती में कंपन को महसूस करता है और तुरंत चेतावनी देता है।

भूकंप अलर्ट चालू करने का तरीका
अगर आप एंड्रॉयड यूज़र हैं, तो नीचे दिए गए स्टेप्स को फॉलो करके आप अपने फोन में यह अलर्ट फीचर एक्टिव कर सकते हैं:
1. सबसे पहले अपने फोन की सेटिंग्स खोलें।
2. ‘सुरक्षा और आपातकालीन चेतावनियां’ (Safety & Emergency Alerts) पर जाएं।
3. यहां ‘भूकंप अलर्ट’ (Earthquake Alerts) विकल्प पर क्लिक करें।
4. इस विकल्प को ऑन कर दें।

कुछ फोनों में यह विकल्प Location > Advanced > Earthquake Alerts के तहत भी मिल सकता है।

Img- Freepik

यह फीचर क्यों ज़रूरी है?
समय पर चेतावनी मिलना: अगर भूकंप आने से चंद सेकंड पहले भी आपको जानकारी मिल जाए, तो आप खुले स्थान पर जा सकते हैं या सुरक्षात्मक कदम उठा सकते हैं।

जान बचाने में मदद: चेतावनी मिलने पर आप तुरंत किसी सुरक्षित स्थान पर पहुंच सकते हैं, जिससे जान का खतरा कम हो जाता है।

सरकारी सूचना से बेहतर कवरेज: कभी-कभी सरकारी अलर्ट में देरी हो सकती है, जबकि यह सिस्टम तुरंत चेतावनी भेज देता है।

किन देशों में यह सिस्टम पहले से है?
यह फीचर अमेरिका, जापान, न्यूजीलैंड, तुर्की और इंडोनेशिया जैसे भूकंप-प्रवण देशों में पहले से ही उपयोग में लाया जा रहा है। भारत में भी अब धीरे-धीरे इसका विस्तार किया जा रहा है।

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