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देहरादून में दृष्टिबाधित युवाओं को दिया जा रहा रेडियो जॉकी बनने का प्रशिक्षण,जानिये पूरा अपडेट

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में एक सामुदायिक रेडियो स्टेशन में दृष्टिबाधित युवाओं के एक समूह को रेडियो जॉकी बनने के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
Post Published By: डीएन ब्यूरो
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देहरादून में दृष्टिबाधित युवाओं को दिया जा रहा रेडियो जॉकी बनने का प्रशिक्षण,जानिये पूरा अपडेट

देहरादून: उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में एक सामुदायिक रेडियो स्टेशन में दृष्टिबाधित युवाओं के एक समूह को रेडियो जॉकी बनने के लिए प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

इन युवाओं में से एक 25 साल का दीपू भी है। दीपू का कहना है कि उनके पास हुनर है, लिहाजा वह भले ही दृष्टिबाधित हों, लेकिन अपनी आवाज से वह लोगों को हंसा और रुला सकते हैं।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार राष्ट्रीय दृष्टिबाधित संस्थान (एनआईवीएच) 91.2 एनआईवीएच हैलो दून सामुदायिक रेडियो के जरिए इन युवाओं को अपने कार्यक्रम बनाने और उन्हें प्रस्तुत करने का प्रशिक्षण देकर रोजगार के नए रास्ते खोल रहा है और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दे रहा है।

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रीय दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान (एनआईईपीवीडी) द्वारा किया जा रहा है।

दीपू ने कहा, “इसमें मेरी बहुत दिलचस्पी है। एक रेडियो जॉकी का काम सिर्फ गाना बजाना या लोगों को अपडेट करना नहीं है, वह लोगों को रुलाता और हंसाता भी है। मैं यही करना चाहता हूं। मेरी आंखों की रोशनी नहीं है, मैं हंसता हूं और सभी श्रोताओं को भी हंसाना चाहता हूं।”

प्रशिक्षुओं ने विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम प्रस्तुत किए हैं, जिनमें सामाजिक मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने से लेकर शैक्षिक और मनोरंजन कार्यक्रम शामिल हैं। एक अन्य प्रशिक्षु पप्पू (23) ने इस अवसर के लिए आभार व्यक्त किया।

उन्होंने कहा, “मैंने बेहतरीन कहानियां रिकॉर्ड कीं। मैंने इस अवसर से अपनी कार्य क्षमता को विकसित करने की कोशिश की।”

रेडियो स्टेशन का असली सार न केवल इन युवाओं के सशक्तिकरण में बल्कि आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास की ओर उनकी यात्रा में निहित है।

कार्यक्रम की निर्माता चेतना गोला ने कहा, “स्टेशन का उद्देश्य रोजगार के नए रास्ते खोलकर नेत्रहीनों को आत्मनिर्भर बनाना और अवसरों से संबंधित धारणाओं व बाधाओं को तोड़ना है।”

उन्होंने स्पष्ट किया कि यह कार्यक्रम कोई डिग्री या डिप्लोमा नहीं है, बल्कि नेत्रहीन लोगों के लिए रेडियो के बारे में जानने और इसे करियर बनाने का एक मंच है।

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